बुधवार, जुलाई 17, 2013

केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------

 
 
 
                             कुछ फर्क तो है
                             हमारे बीच
                             तुम पाना चाहती हो
                             मैं खोना चाहता हूं-------
 
                             समुद्र से ढूंढ़कर लाना चाहता हूं मोती
                             सुनना चाहता हूं
                             नदियों से निकलती
                             जलतरंग की मीठी आवाज-----
 
                             पिट रहे नगाड़ों का दर्द
                             बांसुरी की कराह-----
 
                              चाहता हूं बुझाना
                              धधकते सूरज की आग
                              धो देना चाहता हूं चाँद में लगा दाग
                              रोपना चाहता हूं
                              दरकी जमीन पर नई किस्म का बीज
                              ऊगाना चाहता हूं प्रेम की नयी फसल
                              मखमली हरी घास
                              जहां बैठकर कर सकें लोग
                              अपने खोने का हिसाब किताब------
 
                              और तुम
                              अपनी नाजुक नेलपालिश लगी उंगलियों से
                              संवारती रहती हो
                              गमले में लगे केक्ट्स----
 
                              मेरे साथ चलो
                              कुछ खोयेंगे
                              प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
                              केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
                              रंगबिरंगे फूल-------

 
                                                      "ज्योति खरे" 


चित्र गूगल से साभार

47 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत नज़्म .... साथ हो तो कैक्टस में फूल ज़रूर खिलेंगे ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल,,,

बहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,

RECENT POST : अभी भी आशा है,

Asha Joglekar ने कहा…

मेरे साथ चलो कुछ खोयेंगे प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल-------

बेहद सुंदर रचना ।
औरत हमेशा सुरक्षा खोजती है और मर्द.. आव्हान ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति ....!!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बृहस्पतिवार (18-07-2013) को में” हमारी शिक्षा प्रणाली कहाँ ले जा रही है हमें ? ( चर्चा - 1310 ) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

संजय भास्‍कर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

और तुम
अपनी नाजुक नेलपालिश लगी उंगलियों से
संवारती रहती हो
कुछ सिखाती समझाती कविता...बहुत सुंदर भाव

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना,आभार।

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर भाव...

एक नजर इधर भी...
यही तोसंसार है...



ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सार्थक रचना.

रामराम.

Maheshwari kaneri ने कहा…

प्रेम को परिभाषित करती सुन्दर रचना..

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..अभिव्यंजना में..मेरी नई पोस्ट."कदम धरती पर ,मन में आसमान हो"

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

नवीन भाववाली सुन्‍दर कविता।

HARSHVARDHAN ने कहा…

आज की बुलेटिन "काका" को पहली पुण्यतिथि पर नमन .... ब्लॉग बुलेटिन।। में आपकी पोस्ट (रचना) को भी शामिल किया गया। सादर .... आभार।।

Ranjana verma ने कहा…

चलो कुछ खोयेंगे
प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
अति सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

HARSHVARDHAN ने कहा…

सुन्दर रचना।।

नये लेख : "भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक" पर जारी 5 रुपये का सिक्का मिल ही गया!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

विरोधाभास का बहुत सुंदर चित्रण...

~सादर!!!

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

प्रेम की एक ही परिभाषा... साथ-साथ नई दुनिया बसानी होगी, कुछ पाने को कुछ खोना होगा... गर आसमान को मुट्ठी में लाना है, गर कैक्टस में फूल खिलाना है. सुन्दर दुनिया के लिए आह्वाहन करती रचना, बधाई.

Vandana Ramasingh ने कहा…

सच है फूलों को पाने के लिए प्रयत्न तो करना ही पड़ेगा

babanpandey ने कहा…

पति-पत्नी के सहयोग के बिना .... जिंदगी बिना पहिये की गाडी है ... उम्दा प्रस्तुति

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

मेरे साथ चलो
कुछ खोयेंगे
प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल--


बहुत सुंदर !

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लिखा है..अच्छी लगी..

बेनामी ने कहा…

.बहुत सुंदर भाव

Darshan jangra ने कहा…

बहुत उम्दा,सुंदर

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्राकृति की गोद में प्रेम और माधुर्य सब कुछ है ... मिलके करी कोशिश जरूर रंग लाती है ...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

खोने में जो मजा है वह तो विरले लोग ही महसूस कर पाते है --उत्कृष्ट रचना
latest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

waah ! lajwaab likhte hain aap .....

sagar ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई.

यहाँ भी पधारे ,

हसरते नादानी में

http://sagarlamhe.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

राज चौहान ने कहा…

प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल--


.........बहुत सुंदर !
पहली बार आपके ब्लॉग को पढ़ा मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है

राज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in

Anita ने कहा…

कोमल भावों से सजी पंक्तियाँ..

Rahul... ने कहा…

मेरे साथ चलो
कुछ खोयेंगे
प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे..
-------
कितनी खूबसूरत पंक्तियाँ..अति सुन्दर...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

मेरे साथ चलो
कुछ खोयेंगे
प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल-------


वाह ...कोमल भावनाओं की बहुत सुन्दर रचना...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और सार्थक रचना...

संजय भास्‍कर ने कहा…

मेरे ब्लॉग में भी पधारें
शब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

मेरे साथ चलो
कुछ खोयेंगे
प्रेम की नयी परिभाषा लिखेंगे
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे
रंगबिरंगे फूल-------
behad prabhavshali rachana ....sadar aabhar Khare ji .

Ankur Jain ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति ज्योति जी...

Dr. Shorya ने कहा…

बहुत सुंदर,

यहाँ भी पधारे
गुरु को समर्पित
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html

अनुपमा पाठक ने कहा…

'रोपना चाहता हूं
दरकी जमीन पर नई किस्म का बीज'

ये चाह संबल देती है!

Unknown ने कहा…

very nice Jyoti ji ..kitna acha likhte hain aap ...sach hai kuch paane ke liye combined efforts karna padhta hai ...

Jyoti Mishra ने कहा…

very beautiful thought process in those lines Sir..
loved it !!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हम भूल गए हैं रख के कहीं …


http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/08/blog-post_10.html

Darshan jangra ने कहा…

वाह ...कोमल भावनाओं की बहुत सुन्दर रचना...

हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः9

Unknown ने कहा…

शानदार प्रयास की खुबसूरत परिणिति .....!!!! मन के अंतिम सिरे तक दस्तक देती हुई अनुपम कृति ,,,,!!

वसुन्धरा पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावाभियक्ति...बधाई आपको...!!

kalp verma ने कहा…

bahut sunder rachna...

Unknown ने कहा…

Suder Rachna,
Vinnie