उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
शनिवार, दिसंबर 29, 2012
दामिनी--------
कौन कहता मर गयी
दामिनी
हर धड़कते दिल में जिन्दा
दामिनी
बुझ रही थी आग जो
विद्रोह की
और दहका गयी
दामिनी--------
"ज्योति खरे"
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