यह बिलकुल सही है कि
बाबाओं की वाणी सुनकर
बाबाओं का जीवन देखकर
बाबाओं का सुख देखकर
साधारण आदमी भी
बाबा बनना चाहता है ...........
सरल है बाबा बनना
भगवा वस्त्र पहनना
चन्दन का टीका लगाना
शब्द जाल में
भक्तो को उलझाना
बाबा बनने के लिए
बिलकुल जरुरी नहीं है जानना
हिमालय क्यों पिघल रहा है
सूख रही है क्यों नदिया
युद्ध के क्या होंगे परिणाम
मनुष्य को पेट भर खाना मिल रहा है की नहीं
बाबा
बाबा
हर तरफ से आंखे मूंदकर
जीवन में भक्ति भाव का
पाठ पढाता है
बाबा के लिए
यह जानना भी जरुरी नहीं है
क्या होता है
किराये के मकान का दुख
पत्नी की प्रसव पीड़ा
लड़कियों से सड़कों में छेड़-छाड़
नारी की अस्मिता
लड़कियों से सड़कों में छेड़-छाड़
नारी की अस्मिता
बच्चे का स्कूल मे दाखिला
प्रतियोगिता के इस दौर में
खुद से खुद का संघर्ष
सच तो यह है कि
बाबा
बाबा
गृहस्थी के लफड़े से
भागा हुआ
भागा हुआ
गैर दुनियादार आदमी होता है ............
"'ज्योति खरे" '