चिल्लाकर मुहं खोल बे
हल्ला बोल,हल्ला बोल बे----
नेताओं की तोंद देखकर
पचका पेट टटोल बे----
सुरा सुंदरी और सत्ता का
स्वाद चखो बकलोल बे----
सत्ता नाच रही सड़कों पर
चमचे बजा रहे ढोल बे----
बहुमत का फिर हंगामा
बता दे अपना मोल बे----
भिखमंगे जब बहुमत मांगें
खोल दे इनकी पोल बे----
तेरे बूते राजा और रानी
दिखा दे अपना रोल बे----
बेशकीमती लोकतंत्र को
फ़ोकट में मत तॊल बे----
अब मतदान नहीं करना
कानों में रस घोल बे----
"ज्योति खरे"
हल्ला बोल,हल्ला बोल बे----
नेताओं की तोंद देखकर
पचका पेट टटोल बे----
सुरा सुंदरी और सत्ता का
स्वाद चखो बकलोल बे----
सत्ता नाच रही सड़कों पर
चमचे बजा रहे ढोल बे----
बहुमत का फिर हंगामा
बता दे अपना मोल बे----
भिखमंगे जब बहुमत मांगें
खोल दे इनकी पोल बे----
तेरे बूते राजा और रानी
दिखा दे अपना रोल बे----
बेशकीमती लोकतंत्र को
फ़ोकट में मत तॊल बे----
अब मतदान नहीं करना
कानों में रस घोल बे----
"ज्योति खरे"
तेरे बूते राजा और रानी
जवाब देंहटाएंदिखा दे अपना रोल बे----
बेहतरीन और मौजू ...
खूब ज़ोर से व्यंग्य में हल्ला बोला ..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग के साथ हल्ला बोला,,,
जवाब देंहटाएं,,,Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
आज इसी तरह के हंगामे और हल्ला बोल की जरुरत है...सटीक धारदार रचना... आभार
जवाब देंहटाएंयह कविता अलग मिजाज़ की है, पर बहुत अच्छी है।
जवाब देंहटाएंयह कविता अलग मिजाज़ की है, पर बहुत अच्छी है।
जवाब देंहटाएंकाफी़ दम है इस हल्ले में ... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
भिखमंगे जब बहुमत मांगें
जवाब देंहटाएंखोल दे इनकी पोल बे----
हा हा .. सभी दमदार ... मज़ा आया जनाब ...
जवाब देंहटाएंबहुमत का फिर हंगामा
बता दे अपना मोल बे----
बेशकीमती लोकतंत्र को
फ़ोकट में मत तॊल बे----
तीर्थ बन गया तिहाड़ भैया ,
इसकी भी जय बोल बे .
बढ़िया व्यंग्य विडंबन .रूपकात्मक तत्व लिए है व्यंग्य रूप कविता रानी .
इस कविता के माध्यम से सामाजिक सारोकारों को बहुत ही निराले अंदाज में प्रस्तुत कर ज्योति भाई ने अपनी सिध्हस्त लेखनी को एक नया आयाम दिया है आप साधुवाद के पात्र हैं
जवाब देंहटाएंbahut bahut...achcha.
जवाब देंहटाएंbahut dino baad,itna achha padne ko mila. thanx..
अच्छी संदेशात्मक है आपकी ज्योति जी ,सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति! वर्तमान दशा पर बहुत सुन्दरता से कटाक्ष किया आपने। इस रचना पर बधाई!
जवाब देंहटाएंतेरे बूते राजा और रानी
जवाब देंहटाएंदिखा दे अपना रोल बे----
बेशकीमती लोकतंत्र को
फ़ोकट में मत तॊल बे----
बेहतरीन !
सटीक बात कही है !
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति...लोकतंत्र पर हल्ला बोलती हुई...
जवाब देंहटाएंfunny and full of sarcasm..
जवाब देंहटाएंenjoyed.. :)
बहुत सार्थक कटाक्ष। आपकी आशा पूर्ण हो, ऐसी कामना है।
जवाब देंहटाएंसभी को एकजुट हो हल्ला बोल करने की जरुरत है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
हल्ला बोल... अब नहीं तो कब, बोल... देश के हालात पर सटीक रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंभिखमंगे जब बहुमत मांगें
जवाब देंहटाएंखोल दे इनकी पोल बे---- sahi bat.....
आपने तो वाकई जोर शोरसे हल्ला बोल दिया
जवाब देंहटाएंबेजोड़ नाद निकला है आपकी इस रचना से.
जवाब देंहटाएंहाहाहा अच्छा हल्ला बोल है आदरणीय सुन्दर एवं सटीक
जवाब देंहटाएंआज की राजनीति पर सटीक रचना .
जवाब देंहटाएंअसंवैधानिक संदेश देती कविता। नागरिकों से मतदान मे भाग न लेने का आह्वान 'तानाशाही'का समर्थन है जो लोकतन्त्र को नष्ट करने की साम्राज्यवादी साजिश का हिस्सा है।
जवाब देंहटाएंअंतिम का शंदेश कुछ अच्छा नहीं लगा ..मतदान के अधिकार से वंचित रहने की सलाह दे रही हैं। बाकि सब ठीक हैं।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी आइये ..अच्छा लगे तो ज्वाइन भी कीजिये
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
वाह ..
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया ..
:)
बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसटीक रचना..
सादर
अनु