शनिवार, दिसंबर 29, 2018

आसमानी ऊनी शाल

सम्हाल कर रखा है
तुम्हारे वादों का
दिया हुआ
ब्राउन रंग का मफलर
बांध लेता हूँ
जब कभी
कान में फुसफुसाकर
कहती है ठंड
कि, आज बहुत ठंड है

इन दिनों
गिर रही है बर्फ
दौड़ रही है शीत लहर
जानता हूँ
तुम्हारी तासीर
बहुत गरम है
पर
मेरी ठंडी यादों को
गर्माहट देना
ओढ़ लेना
मेरा दिया हुआ
ऊनी आसमानी शाल

पारा पिघलकर
बहने लगेगा......

"ज्योति खरे"

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