शनिवार, जनवरी 23, 2021

पंछियों ने---

पंछी
आसमान में उड़ते समय
सीख लेते हैं
आजादी का हुनर
बैठते हैं जिस डगाल पर
कुतरते नहीं
रखते हैं हराभरा
बनाते हैं घोंसला

वे चोंच नहीं चलाते
चोंच से चुन-चुन कर 
लाते हैं दाना
भरते हैं
अपने बच्चों का पेट

बहेलिये 
किसी गुप्त जगह पर बैठकर 
बनाते हैं योजना 
बिछाकर लालच का जाल 
फैंक देते हैं
गिनती के दाने

जाल में फंसे
फड़फड़ाते पंछियों को
देखकर
फिर बहेलियों का झुंड 
लगाता है ठहाके
मनाता है 
जीत का जश्न

पंछियों ने
फड़फड़ाना छोड़कर 
अपने जिंदा रहने की
मुहिम चलाई
अपनी सतर्कता के पंख खोले
और जंगल में इकठ्ठे हो गए
यह तय किया
कि पहले
बहेलियों के जाल को
कुतरेंगे 
भूखे रहेंगे
पर उनका फेंका हुआ
दाना नहीं खाएंगे
साथ में 
यह भी तय किया
कि अब
घरों की छतों पर
नहीं बैठेंगे

पंछी अब
घर की छत पर 
आकर नहीं बैठते--

" ज्योति खरे "

25 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    कभी दूसरों के ब्लॉग पर भी कमेंट किया करो।
    राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।

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    1. अरे सर बाकायदा करता हूँ
      अब पूरी तरह सक्रियता से कार्य करूँगा
      क्षमा सहित

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 25 जनवरी 2021 को 'शाख़ पर पुष्प-पत्ते इतरा रहे हैं' (चर्चा अंक-3957) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  3. ठोस यथार्थ का चित्रण करती हुई सारगर्भित रचना..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. बहुत ख़ूब

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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  6. बेहतरीन रचना, नमस्कार और बधाई हो

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  7. ये तो होना ही था । अति सुन्दर सृजन ।

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  8. उत्कृष्ट रचना, निस्संदेह । अभिनंदन ज्योति जी ।

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