गुरुवार, मार्च 24, 2022

सन्नाटे से संवाद


कुएं के पास 
उसके आने के इंतज़ार में
घंटों खड़ी रहती 
बरगद की छांव तले बैठकर
मन में उभरती 
उसकी आकृति को
छूने की कोशिश करती थी
तालाब में कंकड़ फेंकते समय
यह सोचती थी
कि,वह आकर 
मेरा नाम पूछेगा

वह आसपास मंडराता रहा
और मुझसे मिलने
मेरे पास बैठने से
कतराता रहा 

दशकों बाद
एकांत में बैठी मैं
घूरती हूं सन्नाटे को
और सन्नाटा 
घूरता है मुझे
इस तरह से
एक दूसरे को घूरने का मतलब
कभी समझ में आया ही नहीं  

समझ तो तब आया
जब सन्नाटे ने चुप्पी तोड़ी
उसने पूछा
एकांत में बैठकर
किसे देखती हो
मैंने कहा
जिसने मुझे
अनछुए ही छुआ था
उसकी छुअन को पकड़ना चाहती हूं 

काश!
वह एक बार आकर 
मुझे फिर से छुए
और मेरी आँखें
मुंद जाये गुदगुदी के कारण--

◆ज्योति खरे

20 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५-०३ -२०२२ ) को
    'गरूर में कुछ ज्यादा ही मगरूर हूँ'(चर्चा-अंक-४३८०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. एक काश! और फिर अनचीन्हा खालीपन! यही नियति है एक संवादविहीन आत्मीयता और प्रेम की।एक मार्मिक शब्द-चित्र के साथ एक प्रश्न छोड़ जाती है ये मर्मस्पर्शी रचना। हार्दिक आभार और बधाई आदरनीय सर इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए 🙏🙏

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  4. ये काश काश नहीं होता
    कितना कुछ समेटे रहता है... ये काश
    मार्मिक लेखन

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  5. सन्नाटे में हलचल
    कुछ तो खास है
    आभार..
    सादर..

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  6. गोपेश मोहन जैसवाल25 मार्च 2022 को 11:13 am बजे

    बहुत सुन्दर !
    हर प्रेम-दीवाणी को मीरा की जैसी ही विरह-व्यथा से ही गुज़रना पड़ता है.

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  7. अनछुआ कोई छू जाए तो वह छुवन कभी भूलती नहीं और मिटती भी नहीं, अस्तित्त्व इसी तरह से अपने होने का अहसास कराता है, सुंदर सृजन!

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  8. ये सिर्फ महसूस करनेवाली कविता है,धीरे धीरे पत्तों से टपकते हुए जलबिंदुओं सी !

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  9. समझ तो तब आया
    जब सन्नाटे ने चुप्पी तोड़ी
    उसने पूछा
    एकांत में बैठकर
    किसे देखती हो
    मैंने कहा
    जिसने मुझे
    अनछुए ही छुआ था
    उसकी छुअन को पकड़ना चाहती हूं
    अनछुई छुवन अनछुए एहसास सन्नाटे का घूरना...
    वाह!!!
    लाजवाब सृजन।

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  10. अनछुए अहसास की छुअन!
    सिर्फ और सिर्फ महसूस होती है आत्मा से।
    अप्रतिम।

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