रविवार, दिसंबर 30, 2012

कुछ और नया होना चाहिये-----





इस धरती पर
कुछ नया
कुछ और नया होना चाहिये-----

चाहिये
अल्हड़पन सी दीवानगी
जीवन का
मनोहारी संगीत
अपनेपन का गीत-----

चाहिये
सुगन्धित हवाओं का बहना
फूलों का गहना
ओस की बूंदों को गूंथना
कोहरे को छू कर देखना 
चिड़ियों सा चहचहाना
कुछ कहना
कुछ बतियाना------

इस धरती पर
कितना कुछ है
गाँव,खेत,खलियान
जंगल की मस्ती
नदी की दौड़
आंसुओं की वजह
प्रेम का परिचय
इन सब में कहीं
कुछ और नया होना चाहिये
होना तो कुछ चाहिये-----

चाहिये
किताबों,शब्दों से जुडे लोग
बूढों में बचपना
सुंदर लड़कियां ही नहीं
चाहिये
पोपले मुंह वाली वृद्धाओं  में
खनकदार हंसी------

नहीं चाहिये
परचित पुराने रंग
पुराना कैनवास
कुछ और नया होना चाहिये
होना तो कुछ चाहिये---------

"ज्योति खरे" 

16 टिप्‍पणियां:

  1. जी हां अवश्य ही कुछ नया होना चाहिये

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  2. "कुछ और नया होना चाहिए' बहुत सुन्दर कविता है। आपकी कवितायेँ बड़े कोमल भावों का सम्प्रेषण करती हैं। कहीं भी रुक्षता नहीं, बोझिलता नहीं। मंद मधुर हवा बह रही हो जैसे। यह कविता भी ऐसी ही है। कुछ नया, कुछ और नया होने, पाने की भावना मनुष्य की अदम्य जिजीविषा की ओर संकेत करती है। भावपूर्ण कविता।

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  3. "कुछ और नया होना चाहिए' बहुत सुन्दर कविता है। आपकी कवितायेँ बड़े कोमल भावों का सम्प्रेषण करती हैं। कहीं भी रुक्षता नहीं, बोझिलता नहीं। मंद मधुर हवा बह रही हो जैसे। यह कविता भी ऐसी ही है। कुछ नया, कुछ और नया होने, पाने की भावना मनुष्य की अदम्य जिजीविषा की ओर संकेत करती है। भावपूर्ण कविता।

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  4. धरती को ऐसा ही तो होना चाहिए ...शब्द बहुत सरल और सुन्दर

    नए बरस में आपकी यह कामना फलीभूत हो ..
    दुआएं ..

    सादर

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 20 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. इस धरती पर
    कितना कुछ है
    गाँव,खेत,खलियान
    जंगल की मस्ती
    नदी की दौड़
    आंसुओं की वजह
    प्रेम का परिचय
    इन सब में कहीं
    कुछ और नया होना चाहिये
    होना तो कुछ चाहिये-----बहुत ही सुंदर रचना है...गहन लेखन।

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  7. खूबसूरत सींच । कुछ नया होना चाहिए ।

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  8. वाह! सही में कुछ नया होना चाहिए।

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  9. चाहिये
    किताबों,शब्दों से जुडे लोग
    बूढों में बचपना
    सुंदर लड़कियां ही नहीं
    चाहिये
    पोपले मुंह वाली वृद्धाओं में
    खनकदार हंसी------
    बहुत खूब! कूछ नया तो जरूर दरकार है जीवन में। पुराने प्रतीक , बिंब और खुशियों के आधार की परिभाषा बदल चुकी । कल्पना का शानदार शब्दांकन। आपकी लेखनी का प्रवाह निर्बाध रहे। सादर प्रणाम और आभार इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए 🙏🌷💐🌷

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  10. कुछ नया होना चाहिए..।
    वाह!!!
    लाजवाब सृजन।

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  11. बहुत सुंदर! प्रेरणा देती शानदार प्रस्तुति 💐

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  12. चाहिये
    किताबों,शब्दों से जुडे लोग
    बूढों में बचपना
    सुंदर लड़कियां ही नहीं
    चाहिये
    पोपले मुंह वाली वृद्धाओं में
    खनकदार हंसी------

    हां देखने का नजरिया नया होना ही चाहिए,लाजबाब अभिव्यक्ति सर,सादर नमन

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