दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
सचमुच
सिर्फ स्मृतियाँ रह जाती है,,,,,,Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
गहरी एहसास !latest post हिन्दू आराध्यों की आलोचनाlatest post धर्म क्या है ?
स्मृतियाँ ब्लैक और वाइट् में ही आतीं हैं...रंग उड़ चुके होते हैं...
अदभुत निःशब्द करती रचना
वाह ....कम शब्दों में सब कह गए ...बहुत सुन्दर...:)
वाह क्या बात है आदरणीय गहन अभिव्यक्ति लाजवाब प्रस्तुति बधाई
सुन्दर प्रस्तुति व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बहुत बढ़िया सर!सादर
रंग बह गये ....और रंग एक हो गए ..-----------------बहुत सुन्दर
आप सभी सम्मानित मित्रों का आभार
बहुत बढ़िया
सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत दर्दस्पर्शी।
बहुत ही संदर अहसास।
बहुत ही सुन्दर अहसास।
सचमुच
जवाब देंहटाएंसिर्फ स्मृतियाँ रह जाती है,,,,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
गहरी एहसास !
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स्मृतियाँ ब्लैक और वाइट् में ही आतीं हैं...रंग उड़ चुके होते हैं...
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जवाब देंहटाएंवाह ....कम शब्दों में सब कह गए ...बहुत सुन्दर...:)
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है आदरणीय गहन अभिव्यक्ति लाजवाब प्रस्तुति बधाई
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जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
रंग बह गये ....
जवाब देंहटाएंऔर रंग एक हो गए ..
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बहुत सुन्दर
आप सभी सम्मानित मित्रों का आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत दर्दस्पर्शी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही संदर अहसास।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अहसास।
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