शुक्रवार, अप्रैल 26, 2013

प्यार के खुरदुरेपन ने-------


 
                                        वर्षों से सम्हाले
                                        प्यार के खुरदुरेपन ने
                                        खरोंच डाला है
                                        सपनों को
                                        लापता हो गयीं हैं
                                        दिन,शाम और दोपहरें

                                        काश  
                                        काजल को लगाकर
                                        पहचानता इन्द्रधनुष   
                                        तुम्हारी ओढ़ी हुई 
                                        पारदर्शी चुनरी से
                                        देख पाता
                                        अपनों को-------

                                                     "ज्योति खरे" 

 

36 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए धन्यवाद!

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  2. अपने ही तो खो गए हैं
    परायों से कैसे अपनेपन
    की उम्मीद करें .......

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  3. सुंदर प्रस्तुति... काजल को लगाकर पहचानता इन्द्रधनुष.

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  4. सुंदर प्रस्तुति... काजल को लगाकर पहचानता इन्द्रधनुष.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति... काजल को लगाकर पहचानता इन्द्रधनुष.

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  6. काश.......
    मगर ये हो न सका..

    बढ़िया!!!

    सादर
    अनु

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  7. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 28/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति,आभार.

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  9. कभी छूटते हैं जाने-अंजाने
    अपनों से अपने
    कभी-कभी छूट जाते हैं
    आंखों में बसे अपने ही सपने
    ऐसे ही कहीं छूट जाता है
    हाथों से हाथ !!
    दूर हो जाता है कोई बहुत खा़स
    और तो और एक दिन छूट जाती है
    यूँ ही जिन्‍दगी भी !!!

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  10. प्रेम की कसमसाहटें जो ना करायें कम ही है

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  11. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (28-04-2013) के चर्चा मंच 1228 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  12. आपकी यह अप्रतिम प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है।कृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर पधारकर अवलोकन करें और आपका सुझाव/प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।

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  13. बहुत ही खूबसूरती से अपनी बात कहती .कविता ..

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  14. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!

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  15. अत्यंत गंभीर भाव समेटे खूबसूरत कविता.

    आभार.

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  16. प्यार का खुरदरापन - अनूठी, अत्यंत संवेदनशील कल्पना

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  17. प्रेम की कल्पनायों को नया आयाम दिया है ...
    बहुत खूब ...

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  18. प्यार का खुरदरापन
    वाह
    आप अच्छा लिखते हैं सर

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  19. बहुत सुन्दर और प्रेम को छूती सार्थक प्रस्तुति!

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  20. प्यार का खुरदरापन और ज़ख़्मी रिश्ते!
    अच्छी प्रस्तुति.

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  21. तुम्हारी ओढ़ी हुई
    पारदर्शी चुनरी से
    देख पाता
    अपनों को-------
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  22. बहुत ही सुन्दर! आपको ढेरों बधाई इस बेहतरीन रचना हेतु!
    आपके आदेशानुसार आपके ब्लाॅग का अनुसरण कर रहा हूं। आपसे आग्रह है कि आप मुझे अपना आशीष दें।
    http://voice-brijesh.blogspot.com

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  23. कभी छूटते हैं जाने-अंजाने
    अपनों से अपने
    कभी-कभी छूट जाते हैं
    मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  24. आपकी यह सुन्दर रचना निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.com) पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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