गुम गयी है व्यवहार की किताब
************************
धुंधली आंखें भी
पहचान लेती हैं
भदरंग चेहरे
सुना है
इन चेहरों में
मेरा चेहरा भी दिखता है--
गुम गयी है
व्यवहार की किताब
शहर में
सुना है
गांव के कच्चे घरों की
दीवालों से
अपनापन
आज भी रिसता है---
इस अंधेरे दौर में
जला कर रख देती है
एक बूढ़ी औरत
लालटेन
सुना है
बूढ़ा धुआं
उजालों की आड़ में
रात भर
दर्द अपना लिखता है----
नीम बरगद के भरोसे
खिलखिलाती अल्हड़
झूलती हुई झूला
उड़ रही है आकाश में
सुना है
प्यार की चुनरी के पीछे
चांद
रोज आकर छिपता है----
"ज्योति खरे"
Nice True Lines
जवाब देंहटाएंStudy95