बुधवार, सितंबर 18, 2019

इरादे


अपने इरादों को
तुमने ही दो भागों में बांटा था
अपने हिस्से के इरादे को
तुम अपने दुपट्टे में बांधकर
ले गयीं थी
यह कहकर
मैं अपने इरादे पर कायम रहूंगी
इसे पूरा करुँगी ---

मैं भी अपने हिस्से का इरादा
लेकर चल दिया था
जो आज भी
मेरे सीने में जिंदा है

शायद तुम ही
अपने इरादों से बधें दुपट्टे को
पुराने जंग लगे संदूक में रख कर
भूल गयी थी

अब अपने इरादों का दुपट्टा ओढ़कर
घर से बाहर निकलो
मैं सड़क पर
साइकिल लिए खड़ा हूँ
तुम्हारे पीछे बैठते ही
मेरे पाँव
इरादों के पैडिल
तेज गति से घुमाने लगेंगे

दूर बहुत दूर
किसी बंजर जमीन पर ठहर कर
अपन दोनों
इरादों की
खेती करेंगे ----

"ज्योति खरे"

6 टिप्‍पणियां:


  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १९ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. जी बहुत खूब! इरादों की खेती अलहदा ख्याल अलहदा अहसास।

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