शुक्रवार, अक्टूबर 04, 2019

स्त्रियां जानती हैं

स्त्रियां जानती हैं
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स्त्री को
बचा पाने की
जुगत में जुटे
पुरुषों की बहस
स्त्री की देह से प्रारंभ होकर
स्त्री की देह में ही
हो जाती है समाप्त ---

स्त्रियां
पुरषों को बचा पाने की जुगत के बावजूद भी
सजती, संवरती हैं
रखती हैं घर को व्यवस्थित

स्त्रियां जानती हैं
पुरुषों के ह्रदय
स्त्रियों की धड़कनों से
धड़कते हैं ---

पुरुषों की आँखें
नहीं देख पाती
स्त्री की देह में एक स्त्री
स्त्रियों की आँखें 
देखती हैं
समूची श्रृष्टि -----

"ज्योति खरे"

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