बुधवार, अक्टूबर 09, 2019

रावण जला आये बंधु

रावण जला आये बंधु
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कागज
लकड़ी
जूट और मिट्टी से बना
नकली रावण
जला आये बंधु !

जो लोग
सहेजकर सुरक्षित रखे हैं
शातिरानापन
गोटीबाजी
दोगलापन
इसे जलाना भूल गये बंधु !

कल से फिर
पैदा होने लगेंगे
और और रावण बंधु !

जलाना था कुछ
जला आये और कुछ
जीवित रह गया रावण

अब लड़ते रहना
जब तक
भीड़ भरे मैदान में
स्वयं न जल जाओ बंधु !

"ज्योति खरे"