कैसे भूल सकता हूँ तुम्हें
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गांव की छोटी सी
किराने की दुकान से
एक पाव आटा और नमक
पेड़ के नीचे बैठी
सब्जी वाली से
आलू,भटा और मिर्च
खरीदता आ गया हूँ
न सूखने की जिद पर अड़ी
रेतीली नदी के किनारे
बैठकर
सुलगा रहा हूँ
जंगल से बीन कर लाये कंडे
जिनमें भूजूंगा
गक्कड़,आलू औऱ भटा के साथ
भूख और लाचारी
कमबख्त
सरसराती ठंडी हवाएं भी
इसी समय
कुरेद रहीं हैं
घाव के ऊपर जमीं पपड़ी
कैसे भूल सकते हैं तुम्हें
दो हजार बीस
कि, तुमने हमारी पीठ पर
चिपकाकर
निरादर औऱ अपमान की पर्ची
रोजी रोटी के सवालों को धकियाकर
दौड़ा दिया था
राष्ट्रीय राजमार्ग पर
कभी नहीं भूल पाएंगे
वह चिलचिलाती धूप की दोपहर
एक बूढी मां ने
अपने हिस्से की रोटी देते समय कहा
बेटा
मेरे पास चौड़ी छाती तो नहीं
पर दिल है
साथ में काम करने वाली मजदूर लड़की ने
पसीने को पोंछने
अपना दुपट्टा उतारकर देते हुए कहा था
जिंदा रहो तो हमें याद रखना
हम सड़क पर
पानी की आस लिए
अपने घर की ओर चलते रहे
औऱ तुम
दरबार में बैठकर
भजन गाते रहे
कैसे भूल सकते हैं तुम्हें
दो हजार बीस
कि,कराहती साँसों को रौंदकर तुम
उमंग औऱ उत्साह से भरे
जुलूसों में समर्थंन जुटाने
फिरते रहे शहर शहर
जो हाथ
तुम्हारे स्वागत में
तालियां बजाते रहे
उन्हीं हांथों में
लोकतंत्र के बहाने
फुटपाथ सौपकर जा रहे हो
दो हजार बीस
बैठो हमारे साथ
गक्कड़ भरता खाओ
औऱ जाते जाते याद रखना
मेहनतकश
कलेंडरों पर लिखी
तारीखें नहीं गिनते
वे तो
लिखते हैं नए सिरे से इतिहास
कैसे भूल सकते हैं तुम्हें
दो हजार बीस
"ज्योति खरे"
बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक पाती 2020 के नाम! 2020 को कथित समर्थ लोगों की संवेदनहीनता तो सड़कों पर सामर्थ्य में कमतर पर संवेदनाओं और मानवीयता से लबरेज़ लोगों के सहयोग के लिए जाना जायेगा। बहुत ही सुघड़, सार्थक रचना 👌👌जिसके लिए हार्दिक बधाई। साथ में नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। 2021 आपके लिए सुख और शुभता भरा हो यही कामना करती हूँ
जवाब देंहटाएंएतिहासिक वर्ष के ऐतिहासिक अनुभव
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंलाजवाब। शुभ हो नया साल।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आभार आपका
हटाएंवाह!लाजवाब सराहनीय सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय ज्योति खरे साहब, इस अच्छी सी कृति हेतु बधाई स्वीकार करें। ।।।।
जवाब देंहटाएंआगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।
आभार आपका
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" (1994...दुनिया के पूर्वी छोर न्यूज़ीलैंड से नव वर्ष का आरंभ होता है...) पर गुरुवार 31 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंआजतक जो याद है बस उतना ही कल से भूलने की प्रक्रिया शुरू
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन
जख्म गहरे दिए हैं, भला कौन और कैसे भूलेगा २०२०
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी समग्र चिंतन प्रस्तुति
कैसे भूल सकते हैं तुम्हें
जवाब देंहटाएंदो हजार बीस
आसान नहीं है भूलना,परन्तु इसकी दी ही सीख को भी याद रखना जरुरी है
मार्मिक सृजन ,आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जी प्रणाम सर।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना स्तब्ध कर गयी।
मर्मस्पर्शी कटु यथार्थ सृजन।
सादर।
मार्मिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर और हृदयस्पर्शी सृजन सर ।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय और ह्रदय स्पर्शी भी
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