कुएं के पास
उसके आने के इंतज़ार में
घंटों खड़ी रहती
बरगद की छांव तले बैठकर
मन में उभरती
उसकी आकृति को
छूने की कोशिश करती थी
तालाब में कंकड़ फेंकते समय
यह सोचती थी
कि,वह आकर
मेरा नाम पूछेगा
वह आसपास मंडराता रहा
और मुझसे मिलने
मेरे पास बैठने से
कतराता रहा
दशकों बाद
एकांत में बैठी मैं
घूरती हूं सन्नाटे को
और सन्नाटा
घूरता है मुझे
इस तरह से
एक दूसरे को घूरने का मतलब
कभी समझ में आया ही नहीं
समझ तो तब आया
जब सन्नाटे ने चुप्पी तोड़ी
उसने पूछा
एकांत में बैठकर
किसे देखती हो
मैंने कहा
जिसने मुझे
अनछुए ही छुआ था
उसकी छुअन को पकड़ना चाहती हूं
काश!
वह एक बार आकर
मुझे फिर से छुए
और मेरी आँखें
मुंद जाये गुदगुदी के कारण--
◆ज्योति खरे
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आभार आपका
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५-०३ -२०२२ ) को
'गरूर में कुछ ज्यादा ही मगरूर हूँ'(चर्चा-अंक-४३८०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आभार आपका
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंएक काश! और फिर अनचीन्हा खालीपन! यही नियति है एक संवादविहीन आत्मीयता और प्रेम की।एक मार्मिक शब्द-चित्र के साथ एक प्रश्न छोड़ जाती है ये मर्मस्पर्शी रचना। हार्दिक आभार और बधाई आदरनीय सर इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए 🙏🙏
जवाब देंहटाएंये काश काश नहीं होता
जवाब देंहटाएंकितना कुछ समेटे रहता है... ये काश
मार्मिक लेखन
आभार आपका
हटाएंसन्नाटे में हलचल
जवाब देंहटाएंकुछ तो खास है
आभार..
सादर..
आभार आपका
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंहर प्रेम-दीवाणी को मीरा की जैसी ही विरह-व्यथा से ही गुज़रना पड़ता है.
अनछुआ कोई छू जाए तो वह छुवन कभी भूलती नहीं और मिटती भी नहीं, अस्तित्त्व इसी तरह से अपने होने का अहसास कराता है, सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंये सिर्फ महसूस करनेवाली कविता है,धीरे धीरे पत्तों से टपकते हुए जलबिंदुओं सी !
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसमझ तो तब आया
जवाब देंहटाएंजब सन्नाटे ने चुप्पी तोड़ी
उसने पूछा
एकांत में बैठकर
किसे देखती हो
मैंने कहा
जिसने मुझे
अनछुए ही छुआ था
उसकी छुअन को पकड़ना चाहती हूं
अनछुई छुवन अनछुए एहसास सन्नाटे का घूरना...
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
आभार आपका
हटाएंअनछुए अहसास की छुअन!
जवाब देंहटाएंसिर्फ और सिर्फ महसूस होती है आत्मा से।
अप्रतिम।
आभार आपका
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