किससे पूछें किसका गांव
आधी धूप और आधी छांव
जंगलों में ढूंढ रहे
प्रणय का फासला
अंदर ही अंदर
घाव रहे तिलमिला
सड़कों की दूरियां
पास नहीं आती हैं
अपनी तो आंतें
घास नहीं खाती हैं
जीने की ललक ढूंढ रही ठांव--
अपहरित हो गयी
खुद ही की चाह
कौन जाने कितने
गिनना है माह
सबके सामने है
सबकी परिस्थितियां
रह रह बदल रहा
मौसम स्थितियां
दिखते नहीं हैं अपने पांव--
मांग रहे सन्नाटा
करने अनुसंधान
चुप्पी फिर हो गयी
कौन बने प्रधान
उड़ रहा लाश का
बसाता धुआं
सूख गया एक
चिल्लाता कुआं
मौन झील में डूब गयी नांव
किससे पूछे किसका गांव--
◆ज्योति खरे
सब कुछ बदल रहा है ..... गहन अभव्यक्ति ।।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंअदभुद
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 10 जून 2022 को 'ठोकर खा कर ही मिले, जग में सीधी राह' (चर्चा अंक 4457) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आभार आपका
हटाएंमौन झील में डूब गयी नांव
जवाब देंहटाएंकिससे पूछे किसका गांव--
लाजवाब सृजन आदरणीय सर 🙏
आभार आपका
हटाएंयथार्थ को इंगित करती गहन अभिव्यक्ति ।हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंअपहरित हो गयी
जवाब देंहटाएंखुद ही की चाह
कौन जाने कितने
गिनना है माह
सबके सामने है
सबकी परिस्थितियां
रह रह बदल रहा
मौसम स्थितियां
दिखते नहीं हैं अपने पांव--
यथार्थ का सटीक चित्रण ।
सुन्दर अभिव्यक्ति 👍
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंजंगलों में ढूंढ रहे
जवाब देंहटाएंप्रणय का फासला
अंदर ही अंदर
घाव रहे तिलमिला
सड़कों की दूरियां
पास नहीं आती हैं
अपनी तो आंतें
घास नहीं खाती हैं
जीने की ललक ढूंढ रही ठांव--
अपने आशियाने खण्डहरों में बदल गये हैं अब तो ठाँव भी ढूँढ़कर नहीं मिल रही...
बहुत सटीक सामयिक लाजवाब रचना ।
आभार आपका
हटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंगज़ब का नव गीत ...
जवाब देंहटाएंनिःशब्द कर गया सटीक यथार्थ ...
आभार आपका
हटाएंअद्भुत व्यंजनाओं से सुसज्जित सुंदर नवगीत।
जवाब देंहटाएंबधाई,सादर।
मौन झील में डूब गयी नांव
जवाब देंहटाएंकिससे पूछे किसका गांव
............लाजवाब सृजन