शनिवार, मार्च 02, 2024

प्रेम रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता

दो समानांतर रेखाएं
आपस में
कभी नहीं मिलती
ऐसा रेखा गणित के जानकार
बताते हैं

लेकिन प्रेम में डूबे दो अजनबी
बताते हैं कि
जब हम खींचते हैं
एक दूसरे के
पास आने के लिए रेखा
तब 
दोनों रेखाएं
समानांतर होते हुए भी
एक छोर से
दूसरे छोर को
मिलाने की कोशिश करते हैं

इस तरह का झुकाव
समानांतर होते हुए भी
दो 
सीधी रेखाओं को 
आपस में जुड़ने का
मशविरा देता है

क्योंकि
प्रेम
रेखा गणित की
रेखाओं में
नहीं उलझना चाहता
वह तो
दो रेखाओं का
घेरा बनाकर
इसके भीतर
बैठना चाहता है

प्रेम 
रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता 
वह
अपने होने
और अपने प्रेम के वजूद को
सत्यापित करने की
कोशिश करता है--- 

◆ज्योति खरे

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह सर, बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

    रेखाओं में उलझकर
    सुलझाकर अपनी शिराओं को
    हलकर कठिन प्रमेय जीवन के
    समझाता है
    प्रेम का गणित
    गूढ़ भावों के महीन सूत्रों में नहीं
    सरल रेखा में निहित है।
    -----
    प्रणाम सर
    सादर।

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  2. प्रेम
    रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता
    वह
    अपने होने
    और अपने प्रेम के वजूद को
    सत्यापित करने की
    कोशिश करता है---
    सही कहा आजीवन बस प्रेम को सत्यापित करने की कोशिश...
    लाजवाब स।जन
    वाह!!!

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  3. प्रेम
    रेखा गणित की
    रेखाओं में
    नहीं उलझना चाहता
    वह तो
    दो रेखाओं का
    घेरा बनाकर
    इसके भीतर
    बैठना चाहता है
    सत्य को ख़ूबसूरती से उकेरती लाजवाब कविता । सादर नमस्कार 🙏

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  4. प्रेम
    रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता
    वह
    अपने होने
    और अपने प्रेम के वजूद को
    सत्यापित करने की
    कोशिश करता है--

    सर जी बहुत ही सुंदर रचना

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