गुरुवार, जुलाई 25, 2024

याद करती है माँ

माँ
जब तुम याद करती हो
मुझे हिचकी आने लगती है
मेरी पीठ पर लदा
जीत का सामान
हिलने लगता है

विजय पथ पर
चलने में
तकलीफ होती है

माँ
मैं बहुत जल्दी आऊंगा
तब खिलाना
दूध भात
पहना देना गेंदे की माला
पर रोना नहीं
क्योंकि
तुम रोती बहुत हो
सुख में भी
दुःख में भी----
                                                        ◆ज्योति खरे

9 टिप्‍पणियां:

  1. सैनिकों के मनोभाव का मार्मिक शब्दांकन सर। कम शब्दों में भावों का ज्वार पिरो दिया है आपने।
    प्रणाम सर
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. सुंदर
    समसामयिक रचना
    आभार
    सादर

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  3. बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
    नमन वीर सपूतों को, अमर शहीदों को श्रद्धांजलि🙏🙏

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