बुधवार, फ़रवरी 13, 2013

परिणय के सत्ताईस वर्ष ************************

तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में
रख दी थी अपनी भट्ट पड़ी हथेली
महावर लगे तुम्हारे पांव
रख गये थे खुरदुरी जमीन पर 
साझा संकल्प लिया था हम दोनों ने
कि,बढेंगे मंजिल की तरफ एक साथ

सुधारेंगे खपरैल छत
जिसमें गर्मी में धूप छनकर नहीं
सूरज को भी साथ ले आती है
बरसातें बिना आहट के
सीधे छत से उतर आतीं है
कच्ची मिट्टी के घर को
बचा पाने की विवशताओं में
फड़फड़ाते तैरते रहेंगे
पसीने की नदी में

पारदर्शी फासले को हटाकर
अपने सदियों के संकल्पित
प्यार के सपनों की जमीन पर
लेटकर बातें करेंगे अपन दोनों

साझा संकल्प तो यही लिया था
कि,मार देंगे
संघर्ष के गाल पर तमाचा
जीत के जश्न में
हंसते हुये बजायेंगे तालियां
अपन दोनों---------

"ज्योति खरे"

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. nasmate jyoti ji
    hardik shbhkamnaye aapko aur bhabhi ji ko ,
    geet ko bahut sundar shabdo me dhala hai aapne , behatarin prastuti , badhai

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  3. वैवाहिक अनुभव का उज्‍ज्‍वल प्रस्‍तुतिकरण।

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  4. शादी की साल गिरह पर आप दोनों को बहुत-बहुत शुभकामनायें...

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  5. इस शुभ दिन पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !


    एक कोकिला से दूसरी कोकिला तक - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. सभी संकल्प हों पूरे...
    वैवाहिक वर्षगाँठ पर अशेष शुभकामनाएं.
    सादर
    अनु

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  7. खाए थे कसम किये थे वादे
    साथ साथ चलने मिलाकर कंधे से कंधे
    साझा करेंगे सुख दुःख
    जब तक हम जियेंगे .
    Latest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

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  8. ये संकल्प सदा बरक़रार रहे...
    विवाह की वर्षगाँठ पर ढेर सारी बधाई व हार्दिक शुभकामनाएँ!:-)
    ~सादर!!!

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  9. शादी की साल गिरह पर आप दोनों को बहुत-बहुत शुभकामनायें..!!!

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  10. मिट्टी की सुगंध ने इस रिश्ते को महकाया है और कविता इसकी गवाह बनी है।

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