पापा अब
केवल बातें करते हैं सपनों में-------
मौन साधना साधे अम्मा
मंदिर जाती सुबह सुबह
आँगन की उधड़ी यादों को
लीपा करती जगह जगह
पापा अब
दिखते सिर्फ अलबम के पन्नों में-------
सूख रहे गमले के पौधे
मांग रहे पानी पानी
अंधियारे में आंख ढूढ़ती
आले की सुरमेदानी
पापा अब
बूंद आँख की बदली झरनों में--------
उथले जीवन के बहाव में
डूब गयी रिश्तों की कश्ती
घर के भीतर बसती जाती
अलग हुये चूल्हों की बस्ती
पापा अब
नहीं रहा अपनापन अपनों में
पापा से
हमने कल बातें की सपनों में---------
"ज्योति खरे"
चित्र--
"पापा" एल्बम के पन्ने से
आपकी यह सुन्दर रचना शनिवार 15.06.2013 को निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.in) पर लिंक की गयी है! कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंbhot sundar rachna hai janab waaaaah betrin jitni tarif kare utna kam hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंमन को छूती हुई पंक्तियाँ......
सादर
अनु
उनकी स्मृतियाँ मन में संचित रह कर उन संस्कारों को और दृढ़ करें जो पिता-श्री से प्राप्त हुए हैं -यही है पितृत्व का दाय जो अगली पीढ़ियों तक पहुँचता है !!
जवाब देंहटाएंसच्ची श्रद्धांजलि ....मन को छूती पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंपापा से
जवाब देंहटाएंहमने कल बातें की सपनों में-
दिल को छूती रचना
पापा अब
जवाब देंहटाएंनहीं रहा अपनापन अपनों में
पापा से
हमने कल बातें की सपनों में---------papa se dukh-dard share karne se dukh kam hote hain murt roop me bhale hi apne pas n ho par papa hai yahin kahin ....
मन के भावों को खूबसूरत शब्द दिये हैं ।
जवाब देंहटाएंभावनाओ कीसुंदर श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंमन को छूती रचना...
जवाब देंहटाएंइस रचना ने आपके मन के भावों को बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है. वास्तविक श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अंतस को छूती बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुती ,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता ...
जवाब देंहटाएंफादर्स डे की अग्रिम शुभकामनाएं ......
bohat sundar abhivyakti... ankhen nam go gayi...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंदिल छू गयी आपकी पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंपिता को समर्पित एक शानदार रचना ...
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक १६ जून २०१३ को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...
मन को छूती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमार्मिक ,विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंlatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
दिल को छू लेने वाली रचना ...
जवाब देंहटाएंपापा अब नहीं रहा अपनापन अपनों में
जवाब देंहटाएंपापा से
हमने कल बातें की सपनों में---------
यादें भी कहाँ पीछा छोडती हैं. भावुक प्रस्तुति.
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना sir
जवाब देंहटाएंआपको भी पितादिवास की शुभकामनाएँ
गहरे भाव संजोए ...
जवाब देंहटाएंमन को छूती हई ... आज के माहोल को कहती हई रचना ...
बहुत सुन्दर ..मन को छू लेने वाली पंक्तियाँ ..
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंफादर्स दे पर बाबूजी को बहुत बहुत नमन
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर
जवाब देंहटाएंरचना
शुभ कामनायें...
बहुत सुंदर मन के भावों को बहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,
:-(
जवाब देंहटाएंपापा को याद करती बहुत ही भावमयी रचना
जवाब देंहटाएंसादर !
पापा बस सपनों में ही बातें किया करते हैं... सपने में पापा से की हुई बातें याद आ गई... आँखें भींग गई. शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंअक्सर पेन पेन्सिल लेकर
जवाब देंहटाएंमाँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
पापा इतना याद न आते
पर जब आते, खूब रुलाते !
उनके गले में,बाहें डाले, खूब झूलते, मेरे गीत !
पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत
बहुत सुंदर,दिल को छू गयी , शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ह्रदयस्पर्शी पितृत्व को समर्पित
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव
सादर प्रणाम सर!