शुभप्रभात जीवन बचा हुआ है अभी एक विकल्प आजमायें भू का करें बिछावन नभ को चादर सा ओढें और सुख से सो जायें दाई से क्या पेट छुपाना जब हर सच है निरावरण सच में सादर ....
सॉरी... लिंक गलत हो गया था! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (29-06-2013) को कड़वा सच ...देख नहीं सकता...सुखद अहसास ! में "मयंक का कोना" पर भी है! सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जीवन बचा हुआ है अभी एक विकल्प आजमायें भू का करें बिछावन नभ को चादर सा ओढें और सुख से सो जायें दाई से क्या पेट छुपाना जब हर सच है निरावरण ...यथार्थ .... सादर ज्योत्स्ना शर्मा
waaaaaaaaaah bhut achchi rachna hai......bhot khub jitni tari kare kam hai waaaaaaah
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
शुभप्रभात
जवाब देंहटाएंजीवन बचा हुआ है अभी एक विकल्प आजमायें भू का करें बिछावन नभ को चादर सा ओढें और सुख से सो जायें दाई से क्या पेट छुपाना जब हर सच है निरावरण
सच में
सादर ....
बहुत सुंदर रचना.. सुंदर अभिव्यक्ति .......!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.. सुंदर अभिव्यक्ति .......!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (29-06-2013) को कड़वा सच ...देख नहीं सकता...सुखद अहसास ! में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सॉरी... लिंक गलत हो गया था!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (29-06-2013) को कड़वा सच ...देख नहीं सकता...सुखद अहसास ! में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
sunder aur sarthak bhav
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबढ़िया है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंजीवन बचा हुआ है अभी एक विकल्प आजमायें भू का करें बिछावन नभ को चादर सा ओढें और सुख से सो जायें.......गजब अनुभूति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जीवन बचा हुआ है अभी एक विकल्प आजमायें भू का करें बिछावन नभ को चादर सा ओढें और सुख से सो जायें दाई से क्या पेट छुपाना जब हर सच है निरावरण
जवाब देंहटाएं...यथार्थ ....
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सच को स्वीकारना ही होता है, यही जीवन है... सार्थक भाव... आभार
जवाब देंहटाएंगंग,जमुन,नर्मदा धार में मावस पूनम खूब नहाय कितने पुण्य बटोरे कितने पाप बहाय.
जवाब देंहटाएंसच को छुपाना मुश्किल है. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
क्या बात, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदाई से क्या पेट छुपाना
जवाब देंहटाएंजब हर
सच है निरावरण------- सार्थक
lajawab-***
जवाब देंहटाएंsundar arthpoorna rachna ..
जवाब देंहटाएंमेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभ्रम जाल में फंसे इंसान को सच का दर्पण दिखाती रचना ....... साधुवाद
सुन्दर शब्दों के साथ एक सार्थक बात.....
जवाब देंहटाएंजीवन बचा हुआ है अभी
जवाब देंहटाएंएक विकल्प आजमायें
भू का करें बिछावन
नभ को चादर सा ओढें
और सुख से सो जायें
....बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
वाह भाई जी ..
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति..
वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , ढेरो शुभकामनाये,यहाँ भी पधारे
जवाब देंहटाएंhttp://shoryamalik.blogspot.in/2013/04/blog-post_5919.html
एक विकल्प आजमायें
जवाब देंहटाएंभू का करें बिछावन
नभ को चादर सा ओढें
और सुख से सो जायें
....बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
फुर्सत मिले तो शब्दों की मुस्कराहट पर......Recent पोस्ट... बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग :) पर ज़रूर आईये
jeevan bacha hua hai..umeed hari rahani chaheeye.
जवाब देंहटाएंachchhee kavita.
जीवन बचा हुआ है अभी
जवाब देंहटाएंएक विकल्प आजमायें
भू का करें बिछावन
नभ को चादर सा ओढें
और सुख से सो जायें
बहुत खूब
सादर !
सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी काव्याभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंगहन और गंभीर सोच. प्रकृति को भूल मनुष्य उलझा है बस...
जवाब देंहटाएंभूखी भक्ति,आस्था अंधी
संस्कार का
रोगी तन मन------
बहुत अच्छी रचना, बधाई.
बहुत सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंहर सच है निरावरण ।
जवाब देंहटाएंसच्ची सुंदर प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्राकृति के सच को अभिव्यक्ति करती ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति है आपकी,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएं:-)
kya bat hai dil aur dimag ka anokha sangam .....lajavaab prastuti ....
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