गुरुवार, दिसंबर 19, 2013

बेहरूपिये सो रहें हैं-------

                       समर्थक परजीवी हो रहें हैं
                       सड़क पर कोलाहल बो रहें हैं----

                       शिकायतें द्वार पर टांग कर
                       हस्ताक्षर सलीके से रो रहें हैं----
 
                       जश्न में डूबा समय अब मौन है
                       थैलियां आश्वासन की खो रहें हैं----
 
                       चौखटों के पांव पड़ते थक गऐ
                       भदरंगे बेहरूपिये सो रहें हैं----
 
                       घाट पर धुलने गई है व्यवस्था
                       आँख से बलात्कार हो रहें हैं----


                                                      "ज्योति खरे"

 

27 टिप्‍पणियां:

  1. मौजूदा समय पर कटाक्ष करते हुए कविता... बहुत सुंदर....

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  2. आ० बहुत ही सुंदर कृति व प्रस्तुति , धन्यवाद

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  3. वाह ! बहुत खूब सुंदर गजल,भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
    =======================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  4. कल 22/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  5. बहुत खूब ... गहरा आक्रोश छलक रहा है ... व्यवस्था के प्रति सटीक टीका ...

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  6. घाट पर धुलने गई है व्यवस्था
    आँख से बलात्कार हो रहें हैं----
    sundar prastuti.

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  7. kaya baat hai sir ji behroopiye so rahe ...... choukhato ke paon thak gaye........ umda sher va behatreen gajal

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  8. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 20 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. चौखटों के पांव पड़ते थक गऐ
    भदरंगे बेहरूपिये सो रहें हैं----ओह...गहरा कटाक्ष और गहरा लेखन।

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  10. आंख से बलात्कार हो रहे हैं ....उफ़्फ़ क्या लिखा है ।

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  11. समर्थक परजीवी हो रहें हैं
    सड़क पर कोलाहल बो रहें हैं----
    शिकायतें द्वार पर टांग कर
    हस्ताक्षर सलीके से रो रहें हैं----
    बहुत बढ़िया अदरनीय सर 👌🙏🙏💐🌷

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  12. घाट पर धुलने गई है व्यवस्था
    आँख से बलात्कार हो रहें हैं----
    एकदम सटीक...
    बहुत ही सारगर्भित लाजवाब सृजन।

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  13. चौखटों के पांव पड़ते थक गऐ
    भदरंगे बेहरूपिये सो रहें हैं----

    घाट पर धुलने गई है व्यवस्था
    आँख से बलात्कार हो रहें हैं----यथार्थवादी सृजन। बहुत सटीक अभिव्यक्ति 💐

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  14. यथार्थ चित्रण,मार्मिक अभिव्यक्ति सर,सादर नमन

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