सोमवार, मई 20, 2019

नदी और पहाड़


अच्छे दोस्त हैं
नदी और पहाड़
दिनभर एक दूसरे को धकियाते
खुसुर-पुसुर बतियाते हैं

रात के गहन सन्नाटे में
दोनों
अपनी अपनी चाहतों को
सहलाते पुचकारते हैं

चाहती है नदी
पहाड़ को चूमते बहना
और पहाड़
रगड़ खाने के बाद भी
टूटना नहीं चाहता

दोनों की चाहतों में
दुनियां बचाने की
चाहते हैं------

"ज्योति खरे"

4 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति में जीवन का अक्स है । बहुत सुन्दर।

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  2. बेहतरीन रचना ,सादर नमस्कार

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-05-2019) को "आपस में सुर मिलाना" (चर्चा अंक- 3343) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन निगेटिव में डंडा घुसा कर उसे पॉजिटिव बनायें : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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