बुधवार, मार्च 04, 2020

यार फागुन


यार फागुन
सालभर में एक बार
चले आते हो दबे पांव
खोलकर प्रेम के रहस्यों को
फिर चले जाते हो

तुम केवल
बात करते हो 
रंगदारी से रंगों की
प्रेम के मनुहार की

यार फागुन
शहर की
संकरी गलियों में भी
झांक लिया करो
मासूम गरीबों के सपने
रंगहीन पानी की तरह 
बहता मिलेंगे
झोपड़ पट्टी में
कुछ दिन गुजारो
भूखे बच्चों के शरीर में
कपड़ों के नाम पर
चिथड़ा ही मिलेंगे

यार फागुन
उजड़ते गांव में भी 
एकाध बार आओ
जहां पैदा तो होता है अनाज
पर रोटियां की कमी है
सर्वहारा वर्ग को
गुझिया के चक्कर में 
कर्ज में ना लादो

यार फागुन
एक चुटकी गुलाल
मजदूरों के गाल पर भी मल देना
गुस्सा मत होना
दोस्त हो
बिना गुलाल के भी
गले लगा लेना

यार फागुन
आते रहना इसी तरह
हर साल
तुम्हारे बहाने 
रुठों को गले लगा लेते हैं
दुश्मनों के माथे पर
टीका लगाकर
अपना बना लेते हैं------

11 टिप्‍पणियां:

  1. रंगों के मौसम की मंगलकामनाएं। लाजवाब।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 05 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर
    सादर

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. वाह!बहुत उम्दा सृजन 👌फागुन के बहाने रूठे को मना लेगें ..वाह!

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  6. यार फागुन
    आते रहना इसी तरह
    हर साल
    तुम्हारे बहाने
    रुठों को गले लगा लेते हैं
    दुश्मनों के माथे पर
    टीका लगाकर
    अपना बना लेते हैं----

    बहुत ही सुंदर संदेश दिया आपने ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन सर

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  7. झोपड़ पट्टी में
    कुछ दिन गुजारो
    भूखे बच्चों के शरीर में
    कपड़ों के नाम पर
    चिथड़ा ही मिलेंगे
    बहुत सुन्दर ...लाजवाब सृजन।

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  8. बहुत खूब ब आदरणीय सर ! फागुन को भी ये अनौपचारिक उद्बोधन खूब भायेगा | रंगोत्सव की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं|

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  9. यार फागुन
    आते रहना इसी तरह
    हर साल
    तुम्हारे बहाने
    रुठों को गले लगा लेते हैं
    दुश्मनों के माथे पर
    टीका लगाकर
    अपना बना लेते हैं------
    बहुत सुन्दर... रंगोत्सव की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं सर!

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