सन्नाटे के गाल पर
मारो नहीं चांटा
गले लगाओ इसे
घबड़ाहट में यहां वहां
भाग रहे मौसम को
छतों,बालकनी
आंगन पर पसरे सन्नाटे के
करीब लाओ
यह दोस्ती
हमें जिंदा रहने की
ताकत देगी
कई दशकों बाद
कुआं , तलाब और छांव
की स्मृतियां ताजा हो रहीं हैं
उदास कुत्तों के
हांफने की आवाजें आ रहीं हैं
चिड़ियां
छतों पर बैठने से
नहीं कतरा रहीं
ऐसे एकांत समय में
इन्हें दाना पानी
तो दिया ही जा सकता है
सन्नाटे को
कभी समझा ही नहीं
समझ तो तब आया
जब बूढ़े मां बाप से
बात करते समय
उनके चेहरों से
अपनेपन का संतोष
आंखों से टपक गया
सन्नाटे ने
प्रेम करने का सलीका सिखाया
बच्चों ने
दिन में कई बार भीतर तक
गुदगुदाया
सन्नाटा
तुम
सुधार तो दोगे देश के हालात
पर निवेदन है
सुधारते रहना
समय समय पर
मध्यमवर्गीय परिवारों के
मानसिक हालात
छुट्टी के दिन
बिना आहट के आना
स्वागत रहेगा तुम्हारा---
वाह हमेशा की तरह उतकृष्ट
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24 -3-2020 ) को " तब तुम लापरवाह नहीं थे " (चर्चा अंक -3650) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
वाह! सन्नाटे में गूँजता जीवन का कलरव।
जवाब देंहटाएंजीवन को सन्नाटे से जोड़ने की कला उम्र का अनुभव पाकर ही सीखा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंआपकी परिपक्वता को नमन ।
सन्नाटे में सकारात्मक विचारों की आत्मसंतोषी धारा बहाती परिस्थितियों को समकालीन सन्नाटे से जोड़ती बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंसादर नमन सर.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-03-2020) को "नव संवत्सर-2077 की बधाई हो" (चर्चा अंक -3651) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
मित्रों!
आजकल ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने चर्चा धर्म को निभा रहा है।
आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 25 मार्च 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार आपका
हटाएंदुआ करें की ये सन्नाटा लम्बा न हो ...
जवाब देंहटाएंपर इतना छोटा भी न हो की इंसान एहसास ही न कर पाए किसी बात का ... सुन न पाए चिड़ियों की आवाजें ...
बहुत गहरा सन्देश है इस लाजवाब रचना में ...
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )
जवाब देंहटाएं'बुधवार' ०१ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
आभार आपका
हटाएंसन्नाटा
जवाब देंहटाएंतुम
सुधार तो दोगे देश के हालात
पर निवेदन है
सुधारते रहना
समय समय पर
मध्यमवर्गीय परिवारों के
मानसिक हालात
वाह!!!
क्या बात
बहुत लाजवाब सृजन
बहुत शानदार आदरणीय।
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