सपने
अभी अभी लौटे हैं
कोतवाली में
रपट लिखाकर
दिनभर
हड़कंप मची रही
सपनों की बिरादरी में
क्या अपराध है हमारा
कि आंखों ने
बंद कर रखे हैं दरवाजे
बचाव में
आंखों ने भी
रपट लिखा दी
दिनभर की थकी हारी आंखेँ
नहीं देखना चाहती सपने
जब समूची दुनियां में
कोहराम मचा हो
मृत्यु के सामने
जीवन
जिंदा रहने के लिए
घुटनों के बल खड़ा
गिड़गिड़ा रहा हो
मजदूर और मजबूर लोग
शहरों और महानगरों से
अपना कुछ जरुरी सामान
सिर पर रखकर
पैदल जा रहें हों
भुखमरी ने पांव पसार लिए हों
भय और आशंका ने
दरवाजों पर सटकनी चढ़ा रखी हो
नींद आंखों से नदारत हो तो
आंखें
सपने कहां देख पायेंगी
इनसे केवल
आंसू ही टपकेंगे
सपने और आंखों की
बहस में
शहर में
लोगों में
तनाव और दंगे का माहौल बना है
शांति के मद्देनजर
दोनों हवालात में
नजरबंद हैं
जमानत के लिए
अफरा तफरी मची है-----
समसामयिक यथार्थवादी लेखन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय अभिव्यक्ति।
सादर प्रणाम सर।
आभार आपका
हटाएंवाह लाजवाब हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबेहतरीन व लाजवाब , आजकल की मानसिक स्थिति का सटीक चित्रण ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (06 -04-2020) को 'इन दिनों सपने नहीं आते'(चर्चा अंक-3663) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
आभार आपका
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर कविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंदिल को छू लेने वाली सृजन.
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंआँखों ने भी लॉकडाऊन कर दिया और सपने सोशल डिस्टेंसिंग का शिकार हो गए !
जवाब देंहटाएंसमसामयिक परिस्थिति का सटीक अवलोकन। सादर प्रणाम।
आभार आपका
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर
जवाब देंहटाएंसादर
आभार आपका
हटाएंमार्मिक सृजन सर ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह! दार्शनिक अंदाज़ की सारगर्भित रचना जो पाठक को बरबस अंत तक पढ़ने को विवश करती है तत्पश्चात गहरे चिंतन में डुबो देती है। बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना। बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसादर नमन सर।
आभार आपका
हटाएंइस रचना को लेकर अब मुँह और वाणी भी कोतवाली की राह पकड़ चुके है। बहुत बार पढ़ा। अद्भुत बिम्ब!
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंगहरा कटाक्ष ... आज के समय में सपने और कहाँ मिल सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
मन में बेचैनी भर देने वाली रचना. आज के हालात पर बहुत गहन भाव. उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंआभार आपका
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