बनावटी उजालों से
लाख सज संवर जाएं
मनोकामना के
ऊँचे महल
फिर भी
अंधेरे के आने की आशंका बनी रहती है
लेकिन
कुम्हार का बनाया
मिट्टी का एक दिया
कच्चे घरों में
अपनी टिमटिमाहट कायम रखता है,
नये वस्त्र
मिठाईयां
आतिशबाजी,पटाखे,
गहन अंधकार को
भगाने की चापलूस कोशिश है
सच तो यह है कि
कुम्हार का बनाया
मिट्टी का दिया
जीवन भर
लड़ता रहता है
उजाले की अस्मिता बचाने ----
"ज्योति खरे"
हमेशा की तरह लाजवाब सृजन। दीप पर्व शुभ हो सपरिवार।
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🍁
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१४-११-२०२०) को 'दीपों का त्यौहार'(चर्चा अंक- ३८८५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
आभार आपका
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसच तो यह है कि
जवाब देंहटाएंकुम्हार का बनाया
मिट्टी का दिया
जीवन भर
लड़ता रहता है
उजाले की अस्मिता बचाने ----
यथार्थ के इस हृदयस्पर्शी चित्रण के लिए साधुवाद 🙏
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं 💥🙏💥
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं, लाजवाब रचना - - नमन सह।
बहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंसच तो यह है कि
जवाब देंहटाएंकुम्हार का बनाया
मिट्टी का दिया
जीवन भर
लड़ता रहता है
उजाले की अस्मिता बचाने ----
गहन चिंतन के साथ बहुत सुन्दर सृजन सर .
उत्तम व गहन
जवाब देंहटाएं