गुरुवार, फ़रवरी 17, 2022

जब से तुमने

जब से तुमने
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जब से तुमने
लहरों की तरह
उसके भीतर 
मचलना शुरू किया 
वह
समुंदर हो गया

जब से तुमने
इशारे से बुलाकर 
उसके कान में कहा 
तुम मेरे दोस्त हो 
वह
मैं बोलने लगा
सुनने भी लगा

जब से तुमने 
उसकी उंगलियों को
अपनी उंगलियों में
फसाकर 
साथ चलने को कहा
वह
अपरिचितों की भीड़ में
परिचित होने लगा

जब से तुमने 
सबके सामने 
उसको गले लगाया
वह 
साधारण आदमी से
विशेष आदमी बन गया----

◆ज्योति खरे

23 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. वाह!!!
    बहुत ही उत्कृष्ट सृजन।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८-०२ -२०२२ ) को
    'भाग्य'(चर्चा अंक-४३४४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  4. बहुत ही प्यारी और मनमोहक प्रस्तुति आदरणीय सर 👌👌। प्रेम के कई सोपानों से गुजरते हुए एक आम इंसान को विशेष बना ही देता है। भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌷🌷

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  5. वाह अद्भुत रचना!
    आदरणीय सर आपके ब्लॉक का नाम पढ़ कर मुझे एक रचना सूझ रही है जल्द ही लिखुंगी और अपने ब्लॉग पर रचना प्रकाशित करूंगी!

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  6. जब से तुमने...हर मन को प्रेरणा देती सुंदर,सराहनीय अभिव्यक्ति ।

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  7. फेसबुक पर पढ़ी थी आपकी यह रचना ।
    आपके विशेष होने की बधाई ।
    सुंदर भाव पिरोए हैं ।

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