सोमवार, मार्च 07, 2022

उपेक्षा के दौर से गुजर रहीं मजदूर नारियां

संदर्भ महिला दिवस
उपेक्षा के दौर से गुजर रही हैं मजदूर नारियां
****************
                 
नारी की छवि एक बार फिर इस प्रश्न को जन्म दे रही है कि,क्या भारतीय नारी संस्कारों में रची बसी परम्परा का निर्वाह करने वाली नारी है,या वह नारी है जो अपने संस्कारों को कंधे पर लादे मजदूरी का जीवन व्यतीत कर रही है.
परम्परागत भारतीय नारी और दूसरी तरफ बराबरी के दर्जे का दावा करने वाली आधुनिक भारतीय नारियां हैं,पर इनके बीच है, हमारी मजबूर मजदूर उपेक्षा की शिकार एक अलग छवि वाली नारी,इस नारी के विषय में कोई बात नहीं करता है.
नारी की नियति सिर्फ सहते रहना है-यह धारणा गलत है,इस धारणा को बदलने की आवाज चारों तरफ उठ रही है,आज की नारी इस धारणा से कुछ हद तक उबरी भी है.नारी किसी भी स्तर पर दबे या अन्याय सहे यह तेजी से बदल रहे समय में उचित नहीं है,लेकिन एक बात आवश्यक है कि इस बदलते परिवेश में इतना तो काम होना चाहिए कि मजदूर नारियों की स्थितियों को भी बदलने का कार्य होना चाहिए.
एक ही देश में,एक ही वातावरण में,एक जैसी सामाजिक स्थितियों में जीने वाली नारियों में इतनी भिन्नता क्यों?
वर्तमान में नारियों के पांच वर्ग हो गये हैं-----
१- नारियां जो पुर्णतः संपन्न हैं न नौकरी करती हैं न घर के काम काज
२- नारियां जो अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक रखने के लिये नौकरी करती हैं अथवा सिलाई,बुनाई,ब्यूटी पार्लर आदि चलाती हैं
३- नारियां जो केवल अपना समय व्यतीत करने के लिये साज श्रृंगार के लिये,अधिक धन कमाने के लिये नौकरी करती हैं
४- नारियां जो केवल गृहस्थी से बंधीं हैं
५- नारियां जो अपना,अपने बच्चों का पेट भरने,घर को चलाने, मजदूरी करती हैं,
ये नारियां हमारे सामाजिक वातावरण में चारों तरफ घूमती नजर आती हैं 
पांचवे वर्ग की नारी  आर्थिक और मानसिक स्थिति से कमजोर है,ऐसी नारियों का जीवन प्रतारणाओं से भरा होता है,कुंठा और हीनता से जीवन जीने को विवश ये मजदूर नारियां तथाकथित नारी स्वतंत्रता अथवा नारी मुक्ति का क्या मूल्य जाने,इन्हें तो अपने पेट के लिये मेहनत मजदूरी करते हुए जिन्दगी गुजारना पड़ती है.
नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान फार विमेन,सरकार के प्रयासों से तैयार एक योजना है,जिसे बनाने में महिला संगठनों की भागीदारी है,इसको बनाने के पहले महिलाओं की समस्या को सात खण्डों में बांटा गया है,रोजगार,स्वास्थ,शिक्षा,
संस्कृति,कानून,सामाजिक उत्पीडन,ग्रामीण विकास तथा राजनीती में हिस्सेदारी.
वूमन लिबर्टी अर्थात नारी मुक्ति की चर्चायें चारों ओर सुनाई देती हैं,बड़ी बड़ी संस्थायें नारी स्वतंत्रता की मांग करती हैं,स्वयं नारियां नारी मुक्ति के लिये आवाज उठाती हैं,आन्दोलन करती हैं,सभायें करती हैं,बडे बडे बेनर लेकर नारे लगाती हैं,
विचारणीय प्रश्न यह है कि मजदूरी कर जीवन चलाने वाली नारी अपना कोई महत्त्व नहीं रखती,इसके लिए क्या हो रहा है,क्या देश के महिला संगठन इनके उत्थान के लिए कभी आवाज उठायेंगे.
आज भी अधिकांश नारियां मजदूरी करती हैं, जो उपनगर या गाँव में रहती हैं और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों की हैं,उनकी मजदूरी के पीछे भी स्वतंत्र अस्तित्व की चाह उतनी ही है, जितनी आधुनिक सामाजिक जीवन जीने वाली नारियों में है.
गाँव में ज्यादातर नारियां गरीब परिवारों की हैं, जो मजदूरों के रूप में खेतों पर,शहर में रेजाओं के रूप में,और कई अन्य जगह काम करती हैं,जी जान लगाकर दिनभर मेहनत करती हैं, पर वेतन पुरषों की तुलना में कम मिलता है,पिछले तीन दशकों में बनी अधिकांश कल्याणकारी योजनाओं के ज्यादातर फायदे उन्हीं नारियों के लिये हैं,जो उच्च आय में हैं,उच्च शिक्षा प्राप्त हैं.
उच्च वर्ग की नारियां मुक्त से ज्यादा मुक्त हैं ,किटी पार्टियाँ करती हैं,क्लबों में डांस करती हैं,फैशन में भाग लेती हैं,इनकी संख्या कितनी है,क्या इन्ही गिनी चुनी नारियों की चर्चा होती है,सही मायने मैं तो चर्चा मजदूर नारियों की होनी चाहिये.
महिला दिवस हर वर्ष आता है और चला जाता है,मजदूर नारियां ज्यों की त्यों हैं,नारी मुक्ति की बात तभी सार्थक होगी कि जब "महिला मजदूर"के उत्थान की बात हो,वर्ना ऐसे "महिला दिवस"का क्या ओचित्य जिसमें केवल स्वार्थ हो.

◆ज्योति खरे

22 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ८ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. महिला दिवस हर वर्ष आता है और चला जाता है,मजदूर नारियां ज्यों की त्यों हैं,नारी मुक्ति की बात तभी सार्थक होगी कि जब "महिला मजदूर"के उत्थान की बात हो,वर्ना ऐसे "महिला दिवस"का क्या ओचित्य जिसमें केवल स्वार्थ हो.
    व्वाहहहहहह..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. महिला दिवस केवल उच्च वर्ग की महिलाओं के लिए एक और पार्टी, पिकनिक या समारोह का बहाना मात्र बनकर रह गया है। मजदूर और संघर्षरत महिलाओं के लिए तो यह सामान्य दिनों जैसा ही एक और दिन है।
    आपने इस लेख में नारियों के जो पाँच वर्ग बताए हैं, उन्ही के आधार पर अलग अलग वर्ग की नारियों की वर्तमान अवस्था बिल्कुल अलग अलग है, जरूरतें भी अलग अलग हैं और प्राथमिकताएँ भी अलग अलग। अतः स्त्री जाति के बारे में कुछ कहने से पहले इन उपजातियों पर भी हमें विचार कर लेना चाहिए।

    जवाब देंहटाएं
  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-3-22) को "महिला दिवस-मौखिक जोड़-घटाव" (चर्चा अंक 4363)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरनीय सर,आपके लेख से मुझे मेरे गाँव की कुछ बातें याद आई।खेतों में जब मजदूरों की जरुरत पड़ती थी,तो सुना जाता-औरतों को बुलाओ- काम ज्यादा करेंगी और मजदूरी कम लेगीं।ये बात सुनकर मन क्षोभ से भर जाता था।पाँचवे वर्ग कीमहिलाएँ सचमुच शोषित हैं और जीवन में अथक संघर्षो को झेलती वह अन्य चार वर्गों की अपेक्षा कम साधन-संपन्न होते हुए भी सब वर्गों से ज्यादा जीवटता से भरी है। देश की अर्थव्यवस्था का अच्छा खासा भाग अपने कन्धों पर ढो रही इस महिला को ये भी पता नहीं है कि-महिलाओं के नाम पर कोई दिन भी मनाया जा रहा है।मीना जी ने सच कहा कि ये दिन कथित उच्च वर्ग की महिलाओं के लिए एक मौज मस्ती का दिन मात्र है।शोषित वर्ग पर संवेदनशील लेख के लिये साधुवाद 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. चिंतन परक लेख।
    विचारणीय !
    बहुत सूक्ष्म दृष्टि से आपने विभाजन किया है।
    सादर साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. सबकुछ तो नारी के इर्द-गिर्द है फिर भी महिला दिवस..........

    अच्छी सामयिक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. नारियों का वर्ग विभाजन आपने काफी गहन निरीक्षण के बाद किया है . पाँचवे वर्ग की नारियाँ ही सबसे अधिक त्रस्त हैं जो पहले और तीसरे वर्ग की नारियों द्वारा ही ( पुरुष भी ) शोषित हैं . नारी विमर्श उनपर कविताएं रचता है , पुरुष समाज को कोसता है . पर उनके सुधार की पहल नहीं करता . महिला दिवस की औपचारिकता उनके लिये बेमानी है .
    बहुत अच्छे विचार आदरणीय खरे जी .

    जवाब देंहटाएं
  9. यथार्थ का सटीक चित्रण प्रस्तुत करता आलेख । मेरा भी यही अनुभव रहा है ।
    मैं गिरिजा दीदी की बात से सहमत हूं।
    सटीक प्रश्न करता उत्तम आलेख ।

    जवाब देंहटाएं