गुरुवार, अगस्त 11, 2022

दोस्त के लिए

दोस्त के लिए
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तार चाहे पीतल के हों
या हों एल्युमिनियम के 
या हों फोन के 
दोस्त!
दोस्ती के तार 
महीन धागों से बंधे होते हैं

मुझे 
प्रेमिका न समझकर
दोस्त की तरह  
याद कर लिया करो

जिस दिन ऐसा सोचोगे
कसम से 
दो समानांतर पटरियों में 
दौड़ती ट्रेन में बैठकर हम
जमीन में उपजे 
प्रेम के हरे भरे पेड़ों को
अपने साथ दौड़ते देखेंगे

कभी आओ 
रेलवे प्लेटफार्म पर
सीमेंट की बेंच पर
बैठी मिलूंगी
पहले खूब देर तक झगड़ा करेंगे

फिर छूकर देखना मुझे
रोम-रोम 
तुम्हारी प्रतीक्षा में 
आज भी स्टेशन में
बैठा है --

◆ज्योति खरे

10 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 12 अगस्त 2022 को 'जब भी विपदा आन पड़ी, तुम रक्षक बन आए' (चर्चा अंक 4519) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय

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  3. अहा! सलाम है इस दोस्ती के मधुर ज़ज़्बे को।जब कोई एसा दोस्त बाट जोहता है तो पूरी दुनिया ठुकराकर आने में सबसे बड़ी खुशी है।एक खास रचना किसी खास के लिए आदरनीय सर।मन को खुशी और आनन्द से भर गई आपकी रचना।हर किसी के हिस्से ये दोस्ती नहीं आती 🙏🌺🌺

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