कैद हुआ मौसम शहरों में
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सुविधाओं का मौसम ठहरा
अपना गूंगा उनका बहरा ठहरा..
चर्चित फूलों के खेतों में
नाजुक भाषा की अगवानी
तुलसी ताक रही अपनों को
माली करते है मनमानी
परिचय की परिभाषा सीमित
संबंधों का मौसम ठहरा..
कैद हुआ मौसम शहरों में
शीशों के घर बसा हुआ है
बाग बगीचे सूख गए हैं
गांव में तो धुआं धुआं है
खोल रखी है स्वागत में सांकल
दरवाजे पर मौसम ठहरा...
◆ज्योति खरे
परिचय की भाषा सिमित
जवाब देंहटाएंसंबंधो का मौसम ठहरा
बहुत खूब विश्लेषण आज के परिवेश का 👌👌🙏#chandana
आभार आपका
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसुंदर बिंबों से सजी बहुत अच्छी रचना सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आभार आपका
हटाएंबेहतरीन गीत. सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंतुलसी ताक रही अपनों को
जवाब देंहटाएंमाली करते है मनमानी
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब।
आभार आपका
हटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब आदरनीय !
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह! बदलते हुए हालात और मौसम की बेबसी को खूबसूरत शब्दों में ढाला है आपने
जवाब देंहटाएंआभार आपका
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