उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
शुक्रवार, जुलाई 13, 2012
सड़क पर भटकते,घूमते....
सड़क पर भटकते,घूमते
अचानक प्यार में गिरफ्तार हो गया
लोग कहते हैं-------?
वो आबाद हो गया
थोड़ी सी जमीन ही तो मिली थी उसे
गरीब मर गया
जमीदार हो गया................
" ज्योति " .......
1 टिप्पणी:
रश्मि प्रभा...
13 जुलाई 2012 को 11:51 am बजे
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