उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
शनिवार, जुलाई 14, 2012
गाँधी के इस देश में....
गाँधी के इस देश में--------
सुबह-सुबह पढते ही समाचार
शर्म से झुक जाते हैं सिर
अंधे,गूंगे,बहरे चौराहों पर
भीड़ दहशत में मौन है--------
गाँधी के इस देश में-----------
कब,किसका,कौन है---------?
"ज्योति"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें