दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
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तर्कहीन मौसम अब...तुतलाते हकलाते...बेहतरीन रचना...
सच... आजकल फुरसत में बादल आते हैं बिना बर से चले जाते है कुछ बुँदे गिरा के....सुंदर अभिव्यक्ति.....
कल 23/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर धन्यवाद !
सुन्दर अभिव्यक्ति ! नौ रसों की जिंदगी !
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना, बधाई.
बहुत सुंदर प्रस्तुति
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,,,,, दिली वाह स्वीकारें
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंतर्कहीन मौसम अब...तुतलाते हकलाते...बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंसच... आजकल फुरसत में बादल आते हैं बिना बर से चले जाते है कुछ बुँदे गिरा के....सुंदर अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंकल 23/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंनौ रसों की जिंदगी !
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,,,,, दिली वाह स्वीकारें
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,,,,, दिली वाह स्वीकारें
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