बूढ़ी महिलाएं
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अपनी जवानी को
गृहस्थी के
हवन कुंड में तपाकर
सुनहरे रंग की हो चुकी
बूढ़ी महिलाएं
अपने अपने घरों से निकलकर
इकठ्ठी हो गयी हैं
गुस्से से भरी
ये बूढ़ी महिलाएं
कह रहीं हैं
जमीन से उठती
संवेदनाओं पर
ड़ाली जा रही है मिट्टी
अब हम
जीवन भर साध के रखी
अपनी चुप्पियों को
तोड़ रहें हैं
डाली जा रही
मिट्टी को हटाकर
आने वाले समय के लिए
रास्ता बना रहे हैं--
"ज्योति खरे"
वाह , कभी तो रास्ता बने । बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबहुत सुन्दर और सारगर्भित।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंगहन! हृदय स्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंकाश की रास्ता बन जाये।
जवाब देंहटाएंगहन विचारों से गूँथी स्त्री विमर्श पर सुंदर रचना आदरणीय सर।
प्रणाम।
सादर।
आभार आपका
हटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंवाह, लाजवाब , जब जागो तभी सवेरा , तब नहीं तो अब जी ले , हृदयस्पर्शी रचना , सादर नमन, उम्मीद हरी ही रहनी चाहिए
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंat 8:42 PM
हटाएंआप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी
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बहुत ही बढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंat 8:42 PM
हटाएंआप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी
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आभार आपका
हटाएंएक अच्छी शुरुआत हो । बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंअब हम
जवाब देंहटाएंजीवन भर साध के रखी
अपनी चुप्पियों को
तोड़ रहें हैं
डाली जा रही
मिट्टी को हटाकर
आने वाले समय के लिए
रास्ता बना रहे हैं--
बहुत खूब,काश ! ये सत्य हो जाए ,सादर नमन आपको
अति सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंat 8:42 PM
हटाएंआप से निवेदन है,कि हमारे ब्लॉग को भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति कृपया होगी
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आभार आपका
जवाब देंहटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंयह रास्ता जरूरत है और जरूर बनेगा । सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंसर!बहुत ही उमदा, सच में काबिल-ए-तारीफ है!
जवाब देंहटाएंयथार्थपूर्ण सुंदर रचना ..मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है ..सादर नमन ..
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंलीजिए मैं as a follower यहां उपस्थित हूं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, मैं अभी तक यही समझ रही थी कि मैं वर्षों पहले से आपकी follower हूं। आपने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी की तो यहां कर यथार्थ से वाकिफ़ हुई कि मैं आज तक चर्चा मंच आदि के माध्यम से ही आपकी रचनाओं का रसास्वादन करती रही हूं।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
आपके ब्लॉग की नवीनतम फॉलोअर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत बहुत आभार आपका
हटाएंजो बहुत कुछ सहते हैं, वही आने वाली पीढ़ियों के लिए नए रास्ते बनाते हैं | बूढी औरतों के माध्यम से बहुत कुछ कहती रचना आदरणीय सर | सादर शुभकामनाएं और आभार |
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