गुरुवार, मार्च 04, 2021

फूल

फूल
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मैं 
किसकी जमीन पर 
अंकुरित हुआ
किस रंग में खिला 
कौन से धर्म का हूं
क्या जात है मेरी
किस नाम से पुकारा जाता हूं 
मुझे नहीं मालूम

मुझे तो सिर्फ इतना मालूम है
कि,छोटी सी क्यारी में 
खिला एक फूल हूं 
जिसे तोड़कर 
अपने हिसाब से 
इस्तेमाल करने के बाद
कचरे के ढेर में 
फेंक दिया जाता है----

"ज्योति खरे"

20 टिप्‍पणियां:

  1. गहन भाव कम शब्दों में।
    बेहतरीन सृजन सर।

    प्रणाम।

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  2. गहरी बात बड़े ही मासूम अंदाज में कह गए सर। आपके अनुभव व पारखी नजर को नमन।

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  3. हर परिदृश्य को शब्दों में बाँधना,वो भी भावपूर्ण..बहुत ख़ूब..

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  4. मासूम लोग दुनिया को बहुत कुछ देते हैं पर दुनिया बड़ी बेदर्दी से उन्हें प्रयोग कर धुल में मिला देती है| यही फूल के साथ भी होता है | मासूम सा आत्मकथ्य पुष्प का , जो उसकी अनकही व्यथा कहता है | सादर

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  5. गहन भाव लिए सुन्दर सृजन सर .

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. और यह भी मालूम है कि छोटे से जीवन में बहुत सी खुशियाँ बिखेरता हूँ . गहन अभिव्यक्ति

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  8. मूक जीव इंसानो से बेहतर होते है ,ये भेदभाव के मतलब से अंजान होते है ,बहुत ही सुंदर रचना, बधाई हो

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