साड़ी की प्लेट
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हाँथ की लकीरों को
जब से पढ़वाकर लौटी है
काले बादलों को भेदकर
उड़ने लगी है
कल्पनाओं के
सातवें
आसमान में
उसे लगने लगा है कि
माथे पर उभरी
सलवटों पर
जब वह
उंगलियों से छुएगा
सलवटें सिकुड़कर
जमीन पर गिर जाएंगी
वह अक्सर
अपने भीतर उभरी छवि पर
फेरने लगी उंगलियां
ठीक वैसे ही
जैसे कल्पनाओं में
उसने फेरी थी
माथे पर
सलवटें सुलझने लगी
और जिंदा होने लगी
पहेलियां
कि कब चुपके से
मेरे होठों की सरसराहट में
बन रही सलवटों को
वह अपने होंठों की
सलवटों में सम्मलित करेगा
वह हवा में उड़ती हुई
सोच रही थी
कि,कब कोई
मदमस्त पंछी
मुझसे टकरायगा
घुसकर मेरी धड़कनों में
फड़फड़ायेगा
वह महसूस करने लगी
अपनी ठंडी साँसों में
उसकी साँसों की गर्माहट
वह नहीं उड़ पायी
ज्यादा दिनों तक आसमान में
काट गए पर
और वह
फड़फड़ाकर गिर पड़ी
जीवन के मौजूदा घर में
माथे की सलवटे
साड़ी की प्लेट से
लिपट गयी
जिसे वह अपने हिस्से की
सलवटें समझकर
सुबह शाम
सुधारती है------
◆ज्योति खरे
एक स्त्री के जीवन का शब्द चित्र ।
जवाब देंहटाएंज़िम्मेदारियों के बोझ तले साड़ी की ही प्लेट्स संभालती राह गयी । सब कल्पना धराशाही हो गयी ।
अद्भुत बिम्ब लास्ट हैं हर बार ।
लाजवाब
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आभार आपका
हटाएंबेहतरीन अभव्यक्ति
जवाब देंहटाएं"माथे की सलवटे
जवाब देंहटाएंसाड़ी की प्लेट से
लिपट गयी
जिसे वह अपने हिस्से की
सलवटें समझकर
सुबह शाम
सुधारती है------" - हर बार की तरह ऐसी अनूठी बिम्बों से लबरेज़, संवेदनशील विषय को सजीव शब्दों से उकेरने वाले चितेरे रचनाकार .. शायद ...
बहुत खूब अनुपम अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहाँथ की लकीरों को
जवाब देंहटाएंजब से पढ़वाकर लौटी है
काले बादलों को भेदकर
उड़ने लगी है
कल्पनाओं के
सातवें
आसमान में
कल्पनाओं का आसमान है ही इतना अद्भुत कि बार बार गिरकर भी फिर फिर उड़ने की हिम्मत आजती है
बहुत ही लाजवाब।
वह नहीं उड़ पायी
जवाब देंहटाएंज्यादा दिनों तक आसमान में
काट गए पर
और वह
फड़फड़ाकर गिर पड़ी
जीवन के मौजूदा घर में
माथे की सलवटे
साड़ी की प्लेट से
लिपट गयी
जिसे वह अपने हिस्से की
सलवटें समझकर
सुबह शाम
सुधारती है------
बहुत ही भावनात्मक और हृदय स्पर्शी रचना!
एकदम सच है - उड़ान भी, उम्मीद भी, और मौजूदा जीवन का घर भी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंkya baat hai, wah, badi hi achhi line likhi hai, dhnyabad
जवाब देंहटाएंZee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Bhut sunder rachnaye
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