पत्थरों का दर्द भी कोई दर्द है
फूंक कर बैठो यहाँ पर गर्द है----
मुखबरी होगी यहीं से बैठकर
अस्मिता की रात में खिल्ली उड़ेगी
अफवाहों की जहरीली हवा से
धुंध दहशत की हर घर पलेगी
पीसकर खा रहे ताज़ी गुठलियाँ
क्या करें थूककर चाटना फर्ज है----
पी रहे दांत निपोरे कच्ची दारु
जो मिली थी रात को हराम में
लाड़ले मुर्गी चबाते नंगे पड़े
हथियारों के जंगली गॊदाम में
कलफ किये कुर्तो में खून लगा है
अखबारों में नाम इनका दर्ज है------
"ज्योति खरे"
फूंक कर बैठो यहाँ पर गर्द है----
मुखबरी होगी यहीं से बैठकर
अस्मिता की रात में खिल्ली उड़ेगी
अफवाहों की जहरीली हवा से
धुंध दहशत की हर घर पलेगी
पीसकर खा रहे ताज़ी गुठलियाँ
क्या करें थूककर चाटना फर्ज है----
पी रहे दांत निपोरे कच्ची दारु
जो मिली थी रात को हराम में
लाड़ले मुर्गी चबाते नंगे पड़े
हथियारों के जंगली गॊदाम में
कलफ किये कुर्तो में खून लगा है
अखबारों में नाम इनका दर्ज है------
"ज्योति खरे"
19 टिप्पणियां:
waaaaaaaah bhot khub waaaaaaaaah
बहुत गहन।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
--
शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
--
पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
कलफ किये कुर्तो में खून लगा है
अखबारों में नाम इनका दर्ज है------
yahi to vidambna hai .....
बहुत सुंदर रचना ...
बहुत सुंदर रचना ...
पीसकर खा रहे ताज़ी गुठलियाँ
क्या करें थूककर चाटना फर्ज है-
सच्ची बात ...
उम्दा अभिव्यक्ति ....
पत्थरों का दर्द भी कोई दर्द है
फूंककर बैठो यहाँ पर गर्द है
बेहद गहन भाव लिये हुये उपरोक्त पंक्तियां
आभार
सुंदर रचना..बहुत गहन..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को, अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
behtreen rachna
कलफ किये कुर्तो में खून लगा है
अखबारों में नाम इनका दर्ज है---
फिर भी मेरा देश महान है ... कितनी विडम्बना है देश की ... लाजवाब लिखा है ...
बहुत सुंदर रचना ...
gahan abhivyakti ..
shubhkamnayen .
ओह ! हर शब्द से जैसे आग सी निकल रही है ! बहुत ही सशक्त एवँ अनुपम रचना ! शुभकामनायें स्वीकार करें !
कलफ किये कुर्तो में खून लगा है
अखबारों में नाम इनका दर्ज है------
...बहुत गहन और सशक्त अभिव्यक्ति...
सही जगह प्रहार है ज्योति जी .......
........गरीब की साँसे चुरा कर जी रहे
........सत्ता का नशा चढा तो खून उसका पी रहे
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर. अच्छी रचना है.
लाजवाब लेखन !!
आभार !!
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