उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
शुक्रवार, अप्रैल 26, 2013
प्यार के खुरदुरेपन ने-------
वर्षों से सम्हाले
प्यार के खुरदुरेपन ने
खरोंच डाला है
सपनों को
लापता हो गयीं हैं
दिन,शाम और दोपहरें
काश
काजल को लगाकर
पहचानता इन्द्रधनुष
तुम्हारी ओढ़ी हुई
पारदर्शी चुनरी से
देख पाता
अपनों को-------
"ज्योति खरे"
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