दो समानांतर रेखाएं
आपस में
कभी नहीं मिलती
ऐसा रेखा गणित के जानकार
बताते हैं
लेकिन प्रेम में डूबे दो अजनबी
बताते हैं कि
जब हम खींचते हैं
एक दूसरे के
पास आने के लिए रेखा
तब
दोनों रेखाएं
समानांतर होते हुए भी
एक छोर से
दूसरे छोर को
मिलाने की कोशिश करते हैं
इस तरह का झुकाव
समानांतर होते हुए भी
दो
सीधी रेखाओं को
आपस में जुड़ने का
मशविरा देता है
क्योंकि
प्रेम
रेखा गणित की
रेखाओं में
नहीं उलझना चाहता
वह तो
दो रेखाओं का
घेरा बनाकर
इसके भीतर
बैठना चाहता है
प्रेम
रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता
वह
अपने होने
और अपने प्रेम के वजूद को
सत्यापित करने की
कोशिश करता है---
◆ज्योति खरे
20 टिप्पणियां:
सुंदर सृजन
वाह्ह सर, बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
रेखाओं में उलझकर
सुलझाकर अपनी शिराओं को
हलकर कठिन प्रमेय जीवन के
समझाता है
प्रेम का गणित
गूढ़ भावों के महीन सूत्रों में नहीं
सरल रेखा में निहित है।
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प्रणाम सर
सादर।
वाह
बेहतरीन
वाह! बहुत सुंदर 👌
बहुत बहुत सुन्दर रचना
प्रेम
रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता
वह
अपने होने
और अपने प्रेम के वजूद को
सत्यापित करने की
कोशिश करता है---
सही कहा आजीवन बस प्रेम को सत्यापित करने की कोशिश...
लाजवाब स।जन
वाह!!!
प्रेम
रेखा गणित की
रेखाओं में
नहीं उलझना चाहता
वह तो
दो रेखाओं का
घेरा बनाकर
इसके भीतर
बैठना चाहता है
सत्य को ख़ूबसूरती से उकेरती लाजवाब कविता । सादर नमस्कार 🙏
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
बहुत अच्छी प्रतिक्रिया
आभार आपका
बहुत सुन्दर।
आभार आपका
प्रेम
रेखाओं के पचड़े में नहीं पड़ता
वह
अपने होने
और अपने प्रेम के वजूद को
सत्यापित करने की
कोशिश करता है--
सर जी बहुत ही सुंदर रचना
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