माँ
जब तुम याद करती हो
मुझे हिचकी आने लगती है
मेरी पीठ पर लदा
जीत का सामान
हिलने लगता है
विजय पथ पर
चलने में
तकलीफ होती है
माँ
मैं बहुत जल्दी आऊंगा
तब खिलाना
दूध भात
पहना देना गेंदे की माला
पर रोना नहीं
क्योंकि
तुम रोती बहुत हो
सुख में भी
दुःख में भी----
◆ज्योति खरे
9 टिप्पणियां:
सैनिकों के मनोभाव का मार्मिक शब्दांकन सर। कम शब्दों में भावों का ज्वार पिरो दिया है आपने।
प्रणाम सर
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुंदर
समसामयिक रचना
आभार
सादर
बहुत बहुत सुन्दर
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
नमन वीर सपूतों को, अमर शहीदों को श्रद्धांजलि🙏🙏
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
बहुत सुंदर रचना
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