रविवार, जून 05, 2022

विकलांग पेड़ों के पास से गुजरते हुए

निकले थे 
गमझे में
कुछ जरुरी सामान बांध कर   
कि किसी पुराने पेड़ के नीचे 
बैठेंगे
और बीनकर लाये हुए कंडों को सुलगाकर
पेड़ की छांव में
गक्क्ड़ भरता बनाकर
भरपेट खायेंगे 

हरे और बूढ़े
पेड़ की तलाश में
विकलांग पेड़ों के पास से गुजरते रहे

सोचा हुआ कहां
पूरा हो पाता है 

सच तो यह है कि 
हमने 
घर के भीतर से 
निकलने और लौटने का रास्ता 
अपनों को ही काट कर बनाया है----

◆ज्योति खरे