सोमवार, फ़रवरी 21, 2022

प्यार मैं ही, मैं करूं

प्यार मैं ही, मैं करूं
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मन-मधुर वातावरण में
प्यार बाँटें
प्यार कर लें

दु:ख अपने पांव पर
जो खड़ा था,
अब दौड़ता है
हर तराशे सुख के पीछे
कोई पत्थर तोड़ता है

आओ करें हम
नव सृजन-
एक मूरत और गढ़ लें

'प्यारे', 
प्यार मैं ही मैं करूं
और तुम कुछ ना करो
कैसे बंधाऊं आस मन को
तुम 'न' करो, न 'हाँ' करो!

रतजगे-सी जिन्दगी में
हम कहाँ से
नींद भर लें----

लंबा सफ़र है 
हम सभी का
हम मुसाफिर हैं सभी
दौड़ते हैं, हांफते हैं 
या बैठते हैं हम कभी

यह सिलसिला है राह का,
प्यार से 
कुछ बात कर लें-----

"ज्योति खरे"