शुक्रवार, जनवरी 12, 2018

ठंड

ठंड
****
1
सहमी शरमाई सी
दिनभर खड़ी रही
धूप
ठंड
दुबककर रजाई में
शाम से पी रही
टमाटर का सूप--
2
टपक रही सुबह
कोहरे के संग
सूरज के टूट रहे
सारे अनुबंध--
3
कड़कड़ाते समय में
दौड़ रही घड़ी
अदरक की चाय
अंगीठी पर चढ़ी---
4
आलिंगन को आतुर
बर्फीली रातें
गर्माते होंठ
कर रहे
जीवन की बातें--
5
ना जाने की जिद पर
कपकपाती धुंध
दरवाजे पर अड़ी
खटिया खड़ी--

"ज्योति खरे"