मंगलवार, फ़रवरी 02, 2021

बसंत तुम लौट आये हो

बसंत तुम लौट आये 
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अच्छा हुआ
इस सर्दीले वातावरण में
तुम लौट आये हो
 
सुधर जाएगी 
बर्फीले प्रेम की तासीर
मौसम की नंगी देह पर
जमने लगेगी
कुनकुनाहट 
 
लम्बे अवकाश के बाद
सांकल के भीतर से
आने लगेंगी
खुसुर-फुसुर की आवाजें
गर्म सांसों की 
सनसनाहट से 
खिसकने लगेंगी रजाई

दिनभर इतराती
धूप
चबा चबा कर 
खाएगी 
गुड़ की पट्टी
राजगिर की लैय्या  
और तिलि के लड्डू

वाह!! बसंत
कितने अच्छे हो तुम
जब भी आते हो
प्रेम में 
सुगंध भरकर चले जाते हो---

" ज्योति खरे "

34 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

सुंदर सृजन।🌻

कविता रावत ने कहा…

वाह!! बसंत
कितने अच्छे हो तुम
जब भी आते हो
प्रेम में
सुगंध भरकर चले जाते हो---

जरुरी है नीरस जीवन में वसंत के रंग
बहुत सुन्दर

अनीता सैनी ने कहा…

वाह! बहुत ही सुंदर सृजन सर।

वाह!! बसंत
कितने अच्छे हो तुम
जब भी आते हो
प्रेम में
सुगंध भरकर चले जाते हो---हृदय स्पर्शी।
सादर

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

लाजवाब सृजन।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2028...कलेंडर पत्र-पत्रिकाओं में सिमट गया बसंत...) पर गुरुवार 04 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sweta sinha ने कहा…

बसंत उम्मीद है
जीवन के उदास पतझड़ में नये कोंपल फूटने की।
सुंदर रचना।
प्रणाम सर।
सादर।

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत ही सुंदर सृजन।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (०४-०२-२०२१) को 'जन्मदिन पर' (चर्चा अंक-३९६७) पर भी होगी।

आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुन्दर लेखन

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

वसंत के लौटने का सुखद संकेत देती सुंदर रचना 🌹🙏🌹

Meena Bhardwaj ने कहा…

बसंत के समान ही खूबसूरत और सुखद सृजन।

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Kamini Sinha ने कहा…

लाजबाब सृजन ,सादर नमन आपको

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अब आए हैं तो बौराएंगे भी

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Meena sharma ने कहा…

बसंत कब आया कब गया, पता ही नहीं चलता शहरी जीवन में तो...उपवन में भी, जीवन में भी । बस प्रतीक्षा ही रह जाती है बसंत की !!!

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बसंत के विभिन्न मनोहारी आयामों का स्मरण कराती सुंदर कृति..

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Sarita Sail ने कहा…

सुंदर सृजन सर

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

रेणु ने कहा…

वाह!! बसंत
कितने अच्छे हो तुम
जब भी आते हो
प्रेम में
सुगंध भरकर चले जाते हो
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना आदरणीय सर | यूँ तो प्रेम ही जीवन का बसंत है पर बसंत सुप्त प्रेम में नवआशा भरकर उसमें स्पंदन भरता है | सादर |

Amrita Tanmay ने कहा…

अति सुन्दर सृजन ।