बुधवार, जनवरी 02, 2019

बीती रात का गीत

अनुबंधों का रूप तुम्हारा
रात नहीं सोता होगा
प्राणों के हर दरवाजे पर
मेरे मन का तोता होगा-------

आँखों का परिचय सब
आँगन देहरी बांध गया
पकड़े अहसासों की उंगली
मरुथल पूरा लांघ गया

नदी किनारे बैठकर
प्यासा पंछी रोता होगा------

प्रतिबिम्बों के लिये विनत हो
छत से उतर गया
नाखूनों के पॊर सामने
दर्पण कुतर गया

सांस हारती बाजी कैसे
तह वाला गोता होगा-------

"ज्योति खरे"