सोमवार, अप्रैल 01, 2019

मूर्ख दिवस पर -- समझदारी की बातें

चिल्लाकर मुहं खोल बे
खुल्म खुल्ला बोल बे

नेताओं की तोंद देखकर
पचका पेट टटोल बे

सुरा सुंदरी और सत्ता का
स्वाद चखो बकलोल बे

सत्ता नाच रही सड़कों पर
चमचे बजा रहे ढोल बे

बहुमत का फिर हंगामा 
बता दे अपना मोल बे

भिखमंगे जब बहुमत मांगें 
खोल दे इनकी पोल बे

तेरे बूते राजा और रानी
दिखा दे अपना रोल बे

बेशकीमती लोकतंत्र को
फोकट में मत तॊल बे

"ज्योति खरे"