किस्से सुनाने
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बारूद में लिपटी
जीवन की किताब को
पढ़ते समय
गुजरना पड़ता है
पढ़ने की जद्दोज़हद से
दहशतजदा दीवारों में
जंग लगी
खिड़कियों को बंद कर
देखना पड़ता है
छत की तरफ़
नींद में चौंककर
रोना पड़ता है
बच्चों की तरह
पत्थर में बंधे
तैरते समय को
डूबने से बचाने
फड़फड़ाना पड़ता है
कि कहीं डूब न जाए
रेगिस्तानी नदी में
अपने वजन से भी ज्यादा
किताबें उठाकर
जंगली दुनियां से निकलकर
भागना चाहता हूं
गिट्टियों की शक्ल में
टूट रहे पहाड़ों के बीच
उन्हें
किताबों में लिखे
सच्ची मुच्ची के
किस्से सुनाने---
◆ज्योति खरे
18 टिप्पणियां:
बारूद में लिपटी
जीवन की किताब को
पढ़ते समय
गुजरना पड़ता है
पढ़ने की जद्दोज़हद से
जीवन की राहें आसान कर देती हैं किताबें । बहुत सुन्दर सृजन ।
लाज़वाब
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 25 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 25 अप्रैल 2022 को 'रहे सदा निर्भीक, झूठ को कभी न सहते' (चर्चा अंक 4410) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
पत्थर में बंधे
तैरते समय को
डूबने से बचाने
फड़फड़ाना पड़ता है
कि कहीं डूब न जाए
रेगिस्तानी नदी में... वाह!गज़ब कहा सर।
सादर
शानदार रचना...
आभार आपका
बारूद में लिपटी
जीवन की किताब को
पढ़ते समय
गुजरना पड़ता है
पढ़ने की जद्दोज़हद से
बहुत खूब सर, लाजवाब सृजन,सादर नमस्कार 🙏
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
जीवन के गहरे यथार्थ का सजीव चित्रण, सुंदर रचना ।
आभार आपका
वाह वाह वाह!क्या बात है
आभार आपका
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