शनिवार, मई 11, 2013

अम्मा कभी नहीं हुई बीमार---------



                                                अम्मा
                                            --------------    
         सुबह सुबह
         फटा-फट नहाकर
         अधकुचियाई साड़ी लपेटकर
         तुलसी चौरे पर
         सूरज को प्रतिदिन बुलाती
         आकांक्षाओं का दीपक जलाती
         फिर भरतीं चौड़ी,छोटी सी मांग
         गोल बड़ी आंखें
         दर्पण को देखकर अपने से ही बात करतीं
         सिंदूर की बिंदी माथे पर लगाते-लगाते 
         सोते हुये पापा को जगाती
         सिर पर पल्ला रखते हुऐ
         कमरे से बाहर निकलते ही
         चूल्हे-चौके में खप जातीं-------

         तीजा,हरछ्ट,संतान सातें,सोमवती अमावस्या,वैभव लक्ष्मी
         जाने अनजाने अनगिनत त्यौहार में
         दिनभर की उपासी अम्मा
         कभी मुझे डांटती
         दौड़ती हुई छोटी बहन को पकड़ती
         बहुत देर से रो रहे मुन्ना को
         अपने आँचल में छुपाये
         पालथी मार कर बैठ जातीं थी 
         दिनभर की उपासी अम्मा को
         ऐसे ही क्षणों में मिलता था आराम-----

         अम्मा कभी नहीं हुई बीमार
         वे जानती थीं कि
         कौन ले जायेगा अस्पताल
         वर्षों हो गये बांये पैर की ऐड़ी में दर्द हुये
         किसने की फिकर,किसको है चिंता
         शाम होते ही
         दादी को चाहिये पूजा की थाली
         पापा को चाहिये आफिस से लौटते ही खाना
         दिनभर बच्चों के पीछे भागते
         गायब हो जाता था ऐड़ी का दर्द-------

         कभी-कभी बहुत मुस्करती थीं अम्मा
         जब पापा आफिस से देर से लौटते समय
         ले आते थे मोंगरे की माला
         छेवले के पत्ते में लिपटा मीठा पान
         उस दिन दुबारा गुंथती थी चोटी 
         खोलती थी "श्रंगारदान"
         लगाती थी "अफगान" स्नो
         कर लेती थीं अपने होंठ लाल
         सुंदर अम्मा और भी सुंदर हो जातीं
         उस शाम महक जाता था 
         समूचा घर------

        अम्मा जैसे ही जलाती थीं 
        सांझ का दीपक
        जगमगा जाता था घर
        महकने लगता था कोना कोना 
        सजी संवरी अम्मा
        फिर जुट जातीं थीं रात की ब्यारी में
        चूल्हा,चौका,बरतन समेटने में
        लेट जाती थी,थकी हारी  
        चटाई बिछाकर अपनी जमीन पर-----

        अम्मा के पसीने से सनी मिट्टी से बने घर में 
        तुलसी चौरे पर रखा
        उम्मीदों का दीपक 
       आज भी जल रहा है 
       आकांक्षाओं का सूरज
       प्रतिदिन ऊग रहा है 
       यहीं से प्रारंभ होता है
       जीवन  का सृजन---------

                               "ज्योति खरे" 



   
  

39 टिप्‍पणियां:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अम्मा के पसीने से सनी मिट्टी से बने घर में........क्‍या कथन है!

Ranjana verma ने कहा…

माँ की ममता की सार्थक प्रस्तुतिकरण. दिल को छूने वाली रचना!!आभार

Ranjana verma ने कहा…

माँ की ममता की सार्थक प्रस्तुतिकरण. दिल को छूने वाली रचना!!आभार

Kailash Sharma ने कहा…

मन को छूती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

अरुन अनन्त ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1242 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मर्मस्पशी रचना....अम्मा की कर्मठता पे टिका जीवन

Vandana Ramasingh ने कहा…

सचमुच ऐसी ही होती है माँ

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

माँ के रूप का भव-भीना चित्रण विभोर कर गया !

Unknown ने कहा…

amma ka shabdo me yaad kara ke aaj aankhen bhar aai bahut hi vastavik chitran lekin aaj ki kuchh mamma amma ke svaroop ko tod rahi hai usase bhi aankhe nam ho jati hai .

Vaanbhatt ने कहा…

बहुत ही उम्दा और सजीव चित्रण...मातृ-दिवस की शुभकामनाएं...

sourabh sharma ने कहा…

अम्मा के कितने सारे रंग

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

ma aisee hi hoti hai ......

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर मातृ वंदना, मातृ दिवस की शुभकामनाएं!

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ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

माँ की ममता ही नज़र आती है सब जगह ... कोई और एहसास वो होने ही नहीं देती ...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

अम्मा कभी बीमार नहीं होती .....

वाह अद्भुत ......!!

Rajendra kumar ने कहा…

मन को छूती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.

Rajendra kumar ने कहा…

मन को छूती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

आँखों के आगे साकार हो गयीं 'अम्मा' ..... दिल को छू गयी रचना !
~सादर!!!

nayee dunia ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना माँ को समर्पित , माँ की तकलीफ हम देखते -समझते हैं फिर भी व्यक्त नहीं कर पाते

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

माँ की ममता की सार्थक भावपूर्ण प्रस्तुति प्रस्तुतिकरण

सदा ने कहा…

माँ की ममता से महकता घर का कोना कोना ... शब्‍दों में अथाह स्‍नेह अनुपम भाव लिये
मन को छूती पोस्‍ट

सादर

RAJA AWASTHI ने कहा…

maan ko antartam ki gahraaiyon se paribhashit karti marmsparshi rachana.antas ko chhooti hui is rachna men rachanakar ki samvedansheelta dekhi ja sakti hai.aisi marm tak pahunchati, anubhutiyon ko badi gahraai se pakadne wali israchana ke liye hardik badhai jyoti khare ji .

RAJA AWASTHI ने कहा…

maan ko antartam ki gahraaiyon se paribhashit karti marmsparshi rachana.antas ko chhooti hui is rachna men rachanakar ki samvedansheelta dekhi ja sakti hai.aisi marm tak pahunchati, anubhutiyon ko badi gahraai se pakadne wali israchana ke liye hardik badhai jyoti khare ji .

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

अम्मा..
बहुत सुंदर रचना है,

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

ज्योति जी आपकी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं...! आपके ब्लॉग में शामिल हो रहे हैं... :)
~सादर!!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
आशा बिष्ट ने कहा…

मन को छूती भावपूर्ण रचना ।।।

सारिका मुकेश ने कहा…

अम्मा के पसीने से सनी मिट्टी से बने घर में
तुलसी चौरे पर रखा
उम्मीदों का दीपक
आज भी जल रहा है
आकांक्षाओं का सूरज
प्रतिदिन ऊग रहा है
यहीं से प्रारंभ होता है
जीवन का सृजन---------

बेहद मर्मस्पशी रचना...मन को छू गई..

अरुणा ने कहा…

मन को छूती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

Aparna Bose ने कहा…

सार्थक,मर्मस्पशी चित्रण.... बहुत सुंदर रचना है

राहुल ने कहा…

दिल को स्पर्श करती सुन्दर पोस्ट...

शिवनाथ कुमार ने कहा…

अम्मा के पसीने से सनी मिट्टी से बने घर में
तुलसी चौरे पर रखा
उम्मीदों का दीपक
आज भी जल रहा है
आकांक्षाओं का सूरज
प्रतिदिन ऊग रहा है
यहीं से प्रारंभ होता है
जीवन का सृजन---------

बहुत खूब, हर किसी की माँ दिखती है इस रचना में
वाकई बहुत ही सुन्दर रचना
सादर आभार !

Maheshwari kaneri ने कहा…

अम्मा की ही मेहनत से बने घर संसार..ज्योति जी बहुत सुन्दर भावों से मां को याद किया है आभार.....

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

माँ को बहुत सुन्दर शब्दों में चित्रित किया है.

Vandana KL Grover ने कहा…

अम्मा - बहुत कोमल और बहुत संवेदनशील रचना है

kavita verma ने कहा…

bahut bhavpoorn tareeke se aapne amma ka varnan kiya hai..sundar rachna ..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

भावपूर्ण रचना